बलूचिस्तान का नासूर

बलूचिस्तान का नासूर

बलूचिस्तान पाकिस्तान का पुराना नासूर है। इलाकाई लिहाज से यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, जबकि आबादी के लिहाज से सबसे छोटा प्रांत है। खनिज पदार्थों एवं प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध इस प्रांत के बाशिंदों की अनेक शिकायतें रही हैं।

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हिंसा का पुराना इतिहास है, लेकिन विद्रोही गुटों ने जिस बड़े पैमाने पर सोमवार को हमले किए, वह अभूतपूर्व है। बागियों ने कम-से-कम तीन ठिकानों पर बड़ा धावा बोला। 14 सुरक्षाकर्मियों समेत दर्जनों लोगों के मारे जाने की खबर है। सुरक्षा बलों ने अपनी जवाबी कार्रवाई में 21 “उग्रवादियों” को मार गिराया। इन घटनाओं के साथ बलूचिस्तान मसले पर फिर से दुनिया का ध्यान गया है। बलूचिस्तान पाकिस्तान का बहुत पुराना नासूर है। इलाकाई लिहाज से यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, जबकि आबादी के लिहाज से सबसे छोटा प्रांत है। खनिज पदार्थों एवं प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध इस प्रांत के बाशिंदों की अनेक शिकायतें रही हैं। इनकी जड़ें 1947 में भारत के बंटवारे के समय ही पड़ गई थीं। यह इतिहास के पन्नों में दर्ज है कि मुस्लिम बहुल बलूचिस्तान का उदारवादी जनमत मजहबी एजेंडे को लेकर बन रहे पाकिस्तान के साथ जाने को तैयार नहीं था। मगर भौगोलिक निरंतरता और मजहबी पहचान का तर्क देते हुए वहां के लोगों को इस्लामी पाकिस्तान में जाने के लिए मजबूर किया गया।

चूंकि पाकिस्तान में कभी लोकतंत्र जड़ें नहीं जमा सका, इसलिए असंतुष्ट समुदायों की भावनाओं का ख्याल करते हुए उन्हें राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने के प्रयास भी नहीं हुए। सोच हमेशा ताकत से फैसला करने की रही। हालिया दौर में बलूचिस्तान को चीन की इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं का प्रमुख स्थल बनाने से भी स्थानीय आबादी में नाराजगी फैली है। यह आम शिकायत है कि इन परियोजनाओं के तहत स्थानीय संसाधनों का दोहन हो रहा है। इस वजह से स्थानीय पर्यावरण भी बिगड़ा है। मगर इन परियोजनाओं से वहां के लोग लाभान्वित नहीं हुए हैँ। इसीलिए अक्सर चीनी परियोजना से जुड़े ठिकाने और तैनात चीनी नागरिक भी हमलों का शिकार बने हैं। चूंकि पाकिस्तान की राज्य-व्यवस्था ने संवाद और भरोसे का माहौल बना कर बलूच आवाम को संतुष्ट करने का कोई सार्थक प्रयास नहीं किया है, इसलिए विद्रोह की भावना वहां लगातार मौजूद रही है। पहले इसका विस्फोट इक्का-दुक्का स्तरों पर होता रहा। सोमवार को समन्वित ढंग से विद्रोहियों ने बड़े हमले किए। पाकिस्तान सरकार को इनसे उचित सबक लेना चाहिए।

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