धर्मेंद्र के ‘सपने और संघर्ष’

धर्मेंद्र के ‘सपने और संघर्ष’

अपने यहां बहुत कम लोग हैं जो 80 पार करने के बाद भी फिल्मों में दिखाई दिए। उनमें ज्यादातर का या तो स्वास्थ्य नहीं रहा या बाजार ढल गया। इस मामले में अमिताभ बच्चन की स्थिति अनोखी है। वे न सिर्फ अनथक काम किए चले जा रहे हैं बल्कि उन्हें लगातार फिल्में मिल भी रही हैं।…धर्मेंद्र उनसे फिल्मों में दस साल और उम्र में सात साल सीनियर हैं। इस लिहाज़ से धर्मेंद्र को ज़ी5 की वेब सीरीज़ ताज: डिवाइडेड बाइ ब्लडमें लिया जाना एक महत्वपूर्ण खबर है।

परदे से उलझती ज़िंदगी

ज़ोहरा सहगल कमाल की कलाकार थीं। जितनी प्रतिभावान, उतनी ही विदुषी और उतनी ही हंसोड़। वे पहली बार 1935 की फिल्म ‘रोमांटिक इंडिया’ में परदे पर आई थीं जबकि उनकी अंतिम फिल्म रनबीर कपूर को लेकर 2007 में संजय लीला भंसाली की बनाई ‘सांवरिया’ थी। ज़ोहरा 2014 में जब इस दुनिया से गईं तो 102 साल की थीं। इसका मतलब हुआ कि ‘सांवरिया’ जब आई तो उनकी उम्र 95 साल थी। कहा जाता है कि इसके बाद कोई प्रस्ताव नहीं आया, अन्यथा ज़ोहरा तो इसके बाद भी काम करने को तैयार बैठी थीं। इसी तरह, एके हंगल 2012 में दुनिया को अलविदा कहते वक्त 98 साल के थे और उसी साल ‘कृष्ण और कंस’ नाम की फिल्म में उन्होंने अभिनय किया था। नाना पल्सीकर को भी इसी श्रेणी में रखा जा सकता है। उनका निधन 84 साल की उम्र में 1984 में हुआ और उसी साल उनकी आखिरी फिल्म ‘कानून क्या करेगा’ आई थी।

लेकिन ज्यादातर कलाकार उम्र की इस सीमा तक सक्रिय नहीं रह पाते। दिलीप कुमार 98 के होकर 2021 में हमसे विदा हुए, लेकिन 1998 की ‘किला’ उनकी अंतिम फिल्म थी। यानी वे 75 की उम्र में आखिरी बार परदे पर दिखे। हालांकि उसके बाद वे अजय देवगन और प्रियंका चोपड़ा के साथ ‘असर द इम्पैक्ट’ और अमिताभ बच्चन व शाहरुख खान के साथ सुभाष घई की ‘मदर लैंड’ में काम करने वाले थे, लेकिन स्वास्थ्य ने इजाज़त नहीं दी और ये फिल्में बन नहीं सकीं। इसी तरह देव आनंद का निधन 2011 में 88 की उम्र में हुआ, मगर उनकी अंतिम फिल्म 2005 में रिलीज़ हुई ‘मिस्टर प्राइम मिनिस्टर’ थी। मतलब यह कि 83 की उम्र के बाद वे भी परदे पर नहीं आए।

आप पाएंगे कि अपने यहां बहुत कम लोग हैं जो 80 पार करने के बाद भी फिल्मों में दिखाई दिए। उनमें ज्यादातर का या तो स्वास्थ्य नहीं रहा या बाजार ढल गया। इस मामले में अमिताभ बच्चन की स्थिति अनोखी है। वे न सिर्फ अनथक काम किए चले जा रहे हैं बल्कि उन्हें लगातार फिल्में मिल भी रही हैं। हर साल आने वाला ‘कौन बनेगा करोड़पति’ तो है ही जिससे वे अपने बाज़ार को स्फुरित करते रहते हैं। ‘प्रोजेक्ट के’, ‘तेरा यार हूं मैं’ और और ‘आंखें-2’ उनकी आने वाली फिल्में हैं। धर्मेंद्र उनसे फिल्मों में दस साल और उम्र में सात साल सीनियर हैं। इस लिहाज़ से धर्मेंद्र को ज़ी5 की वेब सीरीज़ ‘ताज: डिवाइडेड बाइ ब्लड’ में लिया जाना एक महत्वपूर्ण खबर है।

धर्मेंद्र की पिछली फिल्म ‘यमला पगला दीवाना 2’ थी जो 2013 में आई थी। जरा सोचिए, दस साल से उन्हें किसी ने नहीं पूछा। इससे पहले भी कई साल तक वे केवल अपने परिवार, रिश्तेदारों या बेहद करीबी लोगों की फिल्मों में ही दिख रहे थे। यानी लगभग दो दशक से निर्माता लोग धर्मेंद्र को अनदेखा किए हुए थे जबकि उनके चाहने वाले दर्शकों की बहुत बड़ी संख्या है। उन्हें हिंदी फिल्मों का पहला ‘ही मैन’ कहा जाता है। वे ‘हक़ीक़त’ और ‘शोले’ जैसी फिल्मों के नायक थे, जिन्हें आप भुला नहीं सकते। बॉलीवुड में कई सुपरस्टार आते और जाते रहे, पर धर्मेंद्र की अपनी जगह हमेशा बरकरार रही। उनकी ‘ही मैन’ की छवि के बावजूद असित सेन ने उन्हें ‘ममता’ और हृषिकेश मुखर्जी ने ‘अनुपमा’, ‘सत्यकाम’, ‘चुपके चुपके’ और ‘गुड्डी’ जैसी फिल्में दीं। शायद इसलिए कि ये दोनों बिमल रॉय के सहायक रहे थे और दोनों ने धर्मेंद्र को ‘बंदिनी’ में काम करते देखा था। आज जबकि हमारे यहां प्रयोगधर्मी फिल्मकारों की नई पौध तेजी से आगे बढ़ रही है, तब भी धर्मेंद्र पर किसी का ध्यान नहीं जाना हैरानी पैदा करता है।

लंबे अंतराल के बाद उन्हें करण जौहर ने अपनी अगली फिल्म ‘रानी और रॉकी की प्रेम कहानी’ की एक भूमिका के लिए बुलाया जो कि जुलाई में रिलीज़ होगी। उसके बाद ‘ताज: डिवाइडेड बाइ ब्लड’ वेब सीरीज़ उन्हें मिली है। यह सीरीज़ मुगल काल का ऐश्वर्य और शायरी व वास्तुकला दिखाएगी तो शाही खानदान के अंधेरे पक्षों को भी खंगालेगी और खानदान के सदस्यों के बीच चलने वाला क्रूर और हिंसक सत्ता संघर्ष भी सामने लाएगी। इसके निर्माता अभिमन्यु सिंह कहते हैं कि उस दौर की समृद्धि और शानो सौकत के साथ हम उस समय के सत्ता परिवर्तन की वास्तविकताएं भी बताएंगे। नसीरुद्दीन शाह इस वेब सीरीज़ में अकबर, संध्या मृदुल जोधा बाई, अदिति राव हैदरी अनारकली और आशिम गुलाटी सलीम की भूमिका में दिखेंगे। इसमें ज़रीना वहाब और राहुल बोस को भी लिया गया है। धर्मेंद्र इसमें शेख सलीम चिश्ती बनने जा रहे हैं। उन्होंने खुद सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी और लोगों से शुभकामनाएं मांगीं। किसी ने पूछा कि कि आप किसी स्ट्रगल कर रहे अभिनेता की तरह क्यों बरताव कर रहे हैं। धर्मेंद्र ने जवाब दिया कि ‘जिंदगी एक खूबसूरत संघर्ष है जो कभी खत्म नहीं होता। आप, मैं, हर कोई अपने जीवन में संघर्ष कर रहा है। आराम करने का मतलब है कि आप अपने सपनों को मार रहे हैं।‘

पता नहीं इस जवाब से उनका क्या तात्पर्य है। कई साल से धर्मेंद्र अपना अधिकतर समय मुंबई की भाग-दौड़ और व्यस्तता से दूर लोनावला के अपने लंबे-चौड़े फार्महाउस में अकेले रह कर बिताते रहे हैं। सोशल मीडिया पर गाय भैंसों के साथ और खेती करते धर्मेंद्र की तस्वीरें हम सभी ने देखी हैं। उन्होंने शराब छोड़ दी थी और बरसों से शायरी में मन लगा रहे थे। पता नहीं वे वहां कौन से सपने जी रहे थे। और अगर वही सच था तो अब इतने समय बाद फिर से पुराने सपनों में क्यों उतर रहे हैं? या क्या वह सब भी किसी तरह का संघर्ष था और अब वे अपने पुराने संघर्ष में लौटना चाहते हैं?

Published by सुशील कुमार सिंह

वरिष्ठ पत्रकार। जनसत्ता, हिंदी इंडिया टूडे आदि के लंबे पत्रकारिता अनुभव के बाद फिलहाल एक साप्ताहित पत्रिका का संपादन और लेखन।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें