अपने इर्दगिर्द की ख़बर देती फ़िल्में

अपने इर्दगिर्द की ख़बर देती फ़िल्में

अनुभव सिन्हा, हंसल मेहता और अनुराग कश्यप- ये तीनों ही इस दौर के बेहतरीन फिल्मकारों में गिने जाते हैं। वे कोई बड़ी और महंगी फिल्में नहीं बनाते, लेकिन वे अपनी फिल्मों से हमें यह जरूर बताने का प्रयास करते हैं कि हमारी ज़िंदगी में और हमारे गिर्द जो हो रहा है उसके पीछे क्या-क्या वजहें छुपी हुई हैं। वे यह इशारा भी करते हैं कि मामला कितना बिगड़ गया है और असल में क्या होना चाहिए। इसलिए उनकी फिल्मों को कमाई की तराज़ू में तोलना ठीक नहीं होगा क्योंकि उनका वज़न तो कहीं और होता है। वैसे भी ये फिल्में ओटीटी भर से अपनी लागत निकाल लेती हैं।

‘फ़राज़’ और ‘ऑलमोस्ट प्यार विद डीजे मोहब्बत’ भी उसी श्रेणी की फिल्में हैं। ‘फ़राज़’ में हंसल मेहता निर्देशक हैं तो अनुभव सिन्हा इससे सह निर्माता के रूप में जुड़े हैं। यह फिल्म छह साल पहले ढाका के डिप्लोमैटिक इलाके के पास एक रेस्तरां पर हुए आतंकी हमले पर आधारित है। इस हमले में बाईस विदेशी नागरिक मारे गए थे जबकि कई लोगों को घंटों तक बंधक रखा गया था। आतंकी भी मुसलमान और बंधक भी मुसलमान। बांग्लादेशी सेना ने आखिरकार इन आतंकियों को मार गिराया। यह फिल्म यह बताने की कोशिश करती है कि सभी मुसलमान आतंकवादी नहीं होते और इस्लाम को ख़तरे में बता कर मुस्लिम युवाओं को बरगलाया जाता है। इसकी कहानी में जो बंधक हैं उनमें फ़राज़ भी था। एक आतंकवादी उससे पूछता है कि तुम्हें क्या चाहिए, तो फ़राज़ जवाब देता है कि तुम जैसे लोगों से अपना इस्लाम वापस चाहिए। फिल्म कहना चाहती है कि कोई भी धर्म किसी की हत्या की इजाज़त नहीं देता।

दूसरी फिल्म ‘ऑलमोस्ट प्यार विद डीजे मोहब्बत’ अनुराग कश्यप की है। उनकी फिल्मों की कहानी और उनका कथन सीधे और आसान नहीं होते। यह भी दो अलहदा जगह और समय में समानांतर चलने वाली एक जटिल कहानी है। लेकिन जटिल होते हुए भी यह लव जेहाद के मसले को साफ साफ छूती है, जो कि इन दिनों एक अछूत सा विषय है। मगर हम जानते हैं कि अनुराग कश्यप जो कहना चाहते हैं उसे कहने से बचते नहीं। उनकी फिल्म में विकी कौशल के साथ अलाया एफ और नए अभिनेता करण मेहरा हैं। वह भी दोहरी भूमिकाओं में। उधर हंसल मेहता की ‘फ़राज़’ में आदित्य रावल और ज़हान कपूर हैं। इनमें से आदित्य जिन्होंने एक आतंकवादी की भूमिका की है वे अपने परेश रावल के बेटे हैं जो पहले भी ‘बमफाड़’ में दिख चुके हैं। और दूसरे हैं ज़हान कपूर जो दिवंगत शशि कपूर के पोते हैं।

Published by सुशील कुमार सिंह

वरिष्ठ पत्रकार। जनसत्ता, हिंदी इंडिया टूडे आदि के लंबे पत्रकारिता अनुभव के बाद फिलहाल एक साप्ताहित पत्रिका का संपादन और लेखन।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें