कपिल जैसा कोई नहीं

कपिल जैसा कोई नहीं

कपिल शर्मा को ही उनके शो की पूछ का मुख्य श्रेय है। सोनी टीवी ने भरोसा किया और कपिल उस पर खरे उतरे। कपिल के पिता पंजाब पुलिस में हेड-कांस्टेबल थे। एक पीसीओ में नौकरी और गाने व नाटकों से कपिल की शुरूआत हुई। पहले चंडीगढ़ में शो किए, फिर मुंबई पहुंचे। वे ज़बरदस्त कॉपटीशन से निकल कर आए हैं क्योंकि पंजाब में स्टैंडअप कॉमेडियन, मिमिक्री आर्टिस्ट और गायक हर दूसरे मोहल्ले में मौजूद हैं। मगर लॉफ़्टर चैलेंज ने उन्हें ऐसी मज़बूती दी कि ‘कपिल शर्मा शो’ में कितने ही दूसरे कलाकार आए और गए, पर इस शो की लोकप्रियता हमेशा ज्यों की त्यों रही।

परदे से उलझती ज़िंदगी

फिल्मों का प्रमोशन इन दिनों अपने आप में एक बड़ा उद्योग बन चुका है। हर फिल्म के बजट का एक बड़ा हिस्सा प्रचार पर खर्च किया जाता है। पहले फर्स्ट लुक, फिर सेकंड लुक, फिर टीज़र, फिर ट्रेलर, यानी फिल्म को चर्चित कराने का एक लंबा सिलसिला चलता है। बड़े अखबारों और न्यूज़ चैनलों के अलावा ढेरों छोटी-बड़ी फिल्मी वेबसाइटें हैं जिन पर खबरें चलती हैं। सोशल मीडिया का सहारा लिया जाता है। एक कैंपेन की तरह मीडिया और सोशल मीडिया में उस फिल्म से संबंधित लोगों के इंटरव्यू करवाए जाते हैं। किसी भी नई फिल्म या वेबसीरीज़ की रिलीज़ से पहले उसकी टीम देश के कई शहरों में बड़े होटलों या मॉल में प्रेस कान्फ्रेंस करती है। इसी क्रम में ये टीमें एंटरटेनमेंट चैनलों पर चलने वाले रियलिटी शो में पहुंचती हैं। रियलिटी शो को इससे व्यूअरशिप मिलती है और फिल्म को प्रचार। इस मामले में सबसे ज़्यादा पूछ है ‘द कपिल शर्मा शो’ की।

सलमान खान भी अपनी ‘किसी का भाई किसी की जान’ के प्रमोशन के लिए ‘द कपिल शर्मा शो’ में गए थे। वे अपने साथ दक्षिण के जाने-माने अभिनेताओं वेंकटेश और जगपति बाबू को नहीं ले गए। इस फिल्म के कलाकारों में अपनी दो पुरानी हीरोइनों को भी उन्होंने अनदेखा किया। ‘मैंने प्यार किया’ में उनकी हीरोइन रहीं भाग्यश्री ने तो इस पर कुछ नहीं कहा, लेकिन ‘तेरे नाम’ में उनके साथ काम कर चुकीं भूमिका चावला ने साफ-साफ शिकायत की कि ‘किसी का भाई किसी की जान’ के प्रमोशन के लिए उन्हें इस शो में नहीं ले जाया गया। उनका कहना था कि किसी ने बताया तक नहीं और बाद में यह शो देख कर मुझे पता चला कि हमारी फिल्म की टीम वहां गई थी। भूमिका चावला हिंदी में कम और दक्षिण की फिल्मों में ज्यादा दिखती हैं। हिंदी सिनेमा में उन्हें आज भी ‘तेरे नाम’ के लिए याद किया जाता है। उसके बीस बरस बाद फिर सलमान खान की फिल्म में काम मिलने से उन्होंने शायद कुछ ज्यादा उम्मीदें पाल ली थीं। लेकिन यह फिल्म भी पिट गई और वे उस शो में भी नहीं जा सकीं जिसकी उन्हें तमन्ना थी।

हाल में ‘मदर्स डे’ पर इस शो में सुधा मूर्ति पहुंचीं जो एक लेखिका हैं, सामाजिक कार्यकर्ता हैं, इन्फ़ोसिस फ़ाउंडेशन चलाती हैं, इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति की पत्नी हैं और मौजूदा ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की सास हैं। उस पूरे शो में उनका ही कब्ज़ा रहा जबकि वहां अभिनेत्री रवीना टंडन भी मौजूद थीं और कुछ समय पहले ‘द एलीफ़ेंट व्हिस्परर्स’ के लिए ऑस्कर जीतने वाली गुनीत मोंगा भी। सुधा मूर्ति कितने ही इंटरव्यू दे चुकी हैं, लेकिन उनका सरल और मज़ाहिया व्यक्तित्व इस तरह कभी सामने नहीं आया जैसा इस शो में दिखा। मूल रूप से यह शो फिल्म वालों के लिए है जबकि फिल्में देखने की भारी शौकीन सुधा मूर्ति का फिल्मी दुनिया से कोई नाता नहीं। मगर इससे क्या हुआ। इस शो में तो हम बहुत से खिलाड़ियों, कवियों, समाजसेवियों, कुछ अलग तरह के काम करने वालों, पत्रकारों, ऐंकरों और कई विदेशी हस्तियों तक को देख चुके हैं। मुंबई में हो और अस्वस्थ न हो तो बड़े से बड़ा स्टार इस शो में आने से मना नहीं करता। कितने ही स्टार इसमें बार-बार पहुंचते हैं और बहुत से ऐसे हैं जिनका नंबर नहीं लग पा रहा। इससे आप सलमान खान से भूमिका चावला की शिकायत के मानी समझ सकते हैं।

अपने शो की इस पूछ का श्रेय मुख्यतया कपिल शर्मा को ही है। सोनी टीवी ने भरोसा किया और कपिल उस पर खरे उतरे। कपिल के पिता पंजाब पुलिस में हेड-कांस्टेबल थे। यह परिवार अमृतसर की पुलिस लाइन्स के दूसरी मंज़िल के एक मामूली से फ्लैट में रहता था। एक पीसीओ में नौकरी और गाने व नाटकों से कपिल की शुरूआत हुई। पहले चंडीगढ़ में शो किए, फिर मुंबई पहुंचे। वे ज़बरदस्त कॉपटीशन से निकल कर आए हैं क्योंकि पंजाब में स्टैंडअप कॉमेडियन, मिमिक्री आर्टिस्ट और गायक हर दूसरे मोहल्ले में मौजूद हैं। मगर लॉफ़्टर चैलेंज ने उन्हें ऐसी मज़बूती दी कि ‘कपिल शर्मा शो’ में कितने ही दूसरे कलाकार आए और गए, पर इस शो की लोकप्रियता हमेशा ज्यों की त्यों रही।

कपिल अपनी गायकी का चाव अक्सर अपने शो में पूरा कर लेते हैं। किसी के इसरार पर भी और अपनी इच्छा से भी। मगर फिल्मों में अभिनय की उनकी ख़्वाहिश का कोई ओर-छोर नहीं। इस बारे में अपनी बेताबी वे खुद ही जता देते हैं। हर उस शख्स को जो उनके शो में आया है और उन्हें काम दे सकता है। चाहे वो अनुभव सिन्हा हों या तिग्मांशु धूलिया हों या फिर एसएस राजामौली हों। इन सब से अपनी फिल्म में काम देने का आश्वासन कपिल मांग चुके हैं। जो गिनाई जा सकें, ऐसी अभी तक कपिल शर्मा की तीन ही फिल्में आई हैं। अब्बास-मस्तान की ‘किस किस को प्यार करूं’, राजीव धींगरा की ‘फिरंगी’ और नंदिता दास की ‘ज्विगैटो’। ये फिल्में बॉक्स ऑफ़िस पर नहीं चलीं, फिर भी नंदिता दास की फिल्म में कपिल के अभिनय की हर तरफ तारीफ़ हुई। मगर कपिल को और फिल्में चाहिए। शायद वे अभिनय की दुनिया में भी अपनी साख बनाना चाहते हैं। और शायद उनकी स्टैंडअप कॉमेडियन की छवि ही इस मामले में उनके आड़े आ रही है।

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Published by सुशील कुमार सिंह

वरिष्ठ पत्रकार। जनसत्ता, हिंदी इंडिया टूडे आदि के लंबे पत्रकारिता अनुभव के बाद फिलहाल एक साप्ताहित पत्रिका का संपादन और लेखन।

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