मोदी के खिलाफ दुष्प्रचार सोची-समझी राजनीति का हिस्सा…

भोपाल। राजनीति एवं सुशासन के क्षितिज पर तेजी से उभर रहे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी के खिलाफ अंग्रेजों ने दुष्प्रचार का षड्यंत्र शुरू करके आजादी पूर्व के इतिहास को दोहराने का असफल प्रयास किया है, विश्व के विदेश जिनके शासक वर्षों में कुछ नहीं कर पाए वह, मोदी जी की अंतरराष्ट्रीय ख्याति को पचा नहीं पा रहे हैं और अपने देश के प्रचार माध्यमों से मोदी जी को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं, सबसे बड़ा मौजू सवाल यह है कि बीबीसी (ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कारपोरेशन) ने अब तक ना विक्टोरिया पर कोई सवाल उठाया और ना कभी एलिजाबेथ को सवालों के कटघरे में खड़ा किया। बीबीसी को 21 साल बाद चुनावी साल से पहले आखिर हमारे प्रधानमंत्री पर ऐसी डॉक्यूमेंट्री बनाने की जरूरत ही क्यों पड़ी, क्या ब्रिटेन में डॉक्यूमेंट्री के लिए कोई विषय नहीं थे, आखिर भारत पर ही उनकी नजरे इनायत क्यों हुई, आज सबसे बड़ा यही सवाल है।

‘द मोदी क्वेश्चन’ बनाने वाले बीबीसी ने ठीक भारतीय चुनाव के पहले ऐसी विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री पेश कर यह खुलासा कर दिया कि यह डॉक्यूमेंट्री किसी बड़ी साजिश का छोटा सा हिस्सा है। यद्यपि दुनिया को महज दिखाने के लिए ब्रिटिश प्रधानमंत्री सुनक ने अपनी असहमति तो जता दी लेकिन इस हरकत की वास्तविकता का खुलासा नहीं किया।

वैसे बीबीसी दुनिया का एक ऐसा मीडिया संस्थान है जो कई देशों से पैसा लेकर विवादास्पद भ्रांतियां फैलाता रहता है, मोदी जी के खिलाफ यह दुष्प्रचार भी उसी का एक हिस्सा है। यह इसी से स्पष्ट हो जाता है कि एक ओर जहां ब्रिटिश सांसद लार्डकरण बिलिमोरिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दुनिया के सबसे शक्तिशाली शख्सियतों में से एक बताया, वही उसी देश की एक समाचार एजेंसी हमारे प्रधानमंत्री पर इस तरह की डॉक्यूमेंट्री जारी कर रही है। बिलिमोरिया ने कहा कि भारत दुनिया की प्रमुख विकसित अर्थव्यवस्था है, भारत अब अर्थव्यवस्था की दृष्टि से यूके से आगे निकल गया है तथा विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है, इसलिए इसका विश्व में सम्मान बढ़ा है।

इस तरह कुल मिलाकर बीबीसी द्वारा तैयार की गई इस डॉक्यूमेंट्री का ब्रिटेन में ही काफी तीखा विरोध हो रहा है और ब्रिटेन में रहने वाले कई भारतीयों ने ऑनलाइन इसके खिलाफ याचिकाएं भी दायर की है। फिलहाल बीबीसी ने इस विवादित डॉक्यूमेंट्री का पहला हिस्सा ही जारी किया है, जबकि इसका शेष दूसरा हिस्सा सामने आना बाकी है, इस पहले हिस्से मैं मोदी जी के राजनीतिक जीवन के प्रारंभिक हिस्से के साथ 2002 के गुजराती दंगों की चर्चा की गई है यह भारत सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाने के बाद यह डॉक्यूमेंट्री भारत में तो जारी नहीं हुई, लेकिन भारत के अलावा विश्व के सभी प्रमुख देशों में इसकी खासी चर्चा है और इसे लेकर कई विवाद खड़े हो गए हैं। अब आज 24 जनवरी को इसका दूसरा हिस्सा जारी होना है, जिससे पता चलेगा कि इस डॉक्यूमेंट्री ने मोदी जी के खिलाफ कितना जहर उगला है और विश्व में उसकी प्रतिक्रिया क्या है?

वैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के कुछ मित्र देश बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री को मोदी सरकार को अपदस्थ करने के लिए विदेशी मीडिया की एक बड़ी साजिश बता रहे हैं, साथ ही भारत के 350 से अधिक पूर्व वरिष्ठ नौकरशाह राजनायिक भी इस डॉक्यूमेंट्री को भारत सरकार व प्रधानमंत्री के खिलाफ एक बड़ी साजिश बता रहे हैं, साथ ही 2024 के भारतीय आम चुनाव के पहले जारी इस डॉक्यूमेंट्री को सोची समझी साजिश के रूप में देखा जा रहा है। भारत पर राज कर रही भारतीय जनता पार्टी और सरकार को इस बात का भान है कि एंग्लो सेक्शन व बाम उदारवादी लेफ्ट लिबरल मीडिया प्रधानमंत्री मोदी विरोधियों के बहुत बड़े मददगार बन रहे हैं। इस प्रकार कुल मिलाकर बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री को भारत व प्रधानमंत्री मोदी विरोधी साजिश का हिस्सा कहा जाए तो कोई गलत नहीं होगा।

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