नई दिल्ली। देश-विदेश मेंब्राह्मणसंगठनों के जरिए दशकों ब्राह्मणों की समाज सेवा में रत रहे पंडित मांगे राम शर्माका गुरूवार को गुरूग्राम में देहांत हुआ। वे 87 वर्ष के थे। अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा व वर्ल्ड ब्राह्मण फेडरेशन, कनाडा के आजाद कौशिक, डब्ल्यूबीएफ-अमेरिका के डा ओम शर्मा सहित कई ब्राह्मण संगठनों ने उनके योगदान का जिक्र करते हुए उन्हे श्रद्धांजलि दी है।
डा मांगेराम शर्मा ने बतौर शिक्षक अखिल भारतीय शिक्षक संगठन में भी अंहम भूमिका निभाई। हरियाणा में सेवारत रहे प. मांगेराम शर्मा ने 1973 में तत्कालिन बंशीलाल सरकार के खिलाफ शिक्षक आंदोलन का नेतृत्व किया था। उस आंदोलन में 26 हजार शिक्षकों ने गिरफ्तारी दी थी। शिक्षक पद से रिटायर होने के बाद प. मांगेराम शर्मा ने अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के लिए तन-मन-धन से काम किया। वे देश-विदेश में कई संगठनों के प्रणेता बने। ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका, मारिशस आदि में ब्राह्यण महासम्मेलनों का आयोजन किया और कराया।
प. मांगेराम शर्मा आरंभ से जातिगत आरक्षण व्यवस्था के विरूद्ध थे। उन्होने विभिन्न सामाजिक संगठनों को एक मंच पर ला कर आरक्षण समाप्ति अभियान संयुक्त संस्था मंच की स्थापना की। आरक्षण के विरोध में पूरे देश से लाखों लोगों के हस्ताक्षरों के बंडल संविधान समीक्षा आयोग के अध्यक्ष जस्टिस वैंकटचलैया को देते हुए उन्हे असंख्य लोगों की भावनाओं से अवगत कराया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट में भी चुनावी आरक्षण की व्यवस्था को चुनौती देने की याचिका दायर की।
प. मांगेराम शर्मा ने विभिन्न राजनैतिक दलों और केंद्र सरकारों में भी ब्राह्मण समाज के हित में कई तरह के प्रयास किए। कई प्रदेशों में ब्राह्मण कल्याण बोर्ड का जो गठन हुआ है उसमें पंडित मांगेराम शर्मा का योगदान रहा है। समाज सेवा में उनके योगदान के हवाले विश्व ब्राह्मण संघ, अमेरिका के अध्यक्ष डा ओम शर्मा ने कहा है कि उन्होने पूरा जीवन ब्राह्मण हितों और ब्राह्मणों की एकता में खंपाया। उनके योगदान को अंतरराष्ट्रीय ब्राह्मण समुदाय नहीं भूलेगा।