शिमला। लोकसभा चुनाव के नतीजे आने से एक दिन पहले सोमवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने तीन निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे मंजूर कर लिए। राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को वोट देने वाले इन विधायकों ने मार्च में ही इस्तीफा दिया था लेकिन स्पीकर ने उसे स्वीकार नहीं किया था। जिन विधायकों के इस्तीफे स्वीकार हुए हैं उनमें नालागढ़ के विधायक केएल ठाकुर, देहरा के विधायक होशियार सिंह और हमीरपुर के विधायक आशीष शर्मा शामिल हैं।
इन तीनों विधायकों ने हिमाचल प्रदेश की एक राज्यसभा सीट के लिए हुए चुनाव में भाजपा उम्मीदवार हर्ष महाजन को वोट दिया था। इसके बाद तीनों ने 22 मार्च को विधानसभा स्पीकर और सचिव यशपाल के सामने पेश होकर अपने इस्तीफे सौंप दिए थे। तीनों भाजपा में शामिल हो चुके हैं। गौरतलब है कि कांग्रेस के भी छह विधायकों ने भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी। बाद में कांग्रेस के आवेदन पर स्पीकर ने इन सभी छह विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया था। उनकी सीट पर लोकसभा के साथ ही उपचुनाव हुए हैं।
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश की विधानसभा में कुल 68 सीटें हैं और बहुमत के लिए 35 विधायकों की जरुरत होती है। कांग्रेस के छह और अब तीन निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे होने के बाद कुल विधायकों की संख्या 59 रह गई है और बहुमत का आंकड़ा 30 हो गया है। राज्य में कांग्रेस के पास इस समय 34 और भाजपा के पास 25 विधायक हैं। कांग्रेस के 6 विधायकों के इस्तीफे के बाद खाली हुई सीटों पर एक जून को लोकसभा चुनाव के साथ उपचुनाव हो चुका है। इनके नतीजे चार जून को आएंगे।
उपचुनाव के नतीजे आने के बाद कुल विधायकों की संख्या 65 हो जाएगी और तब बहुमत का आंकड़ा 33 का रहेगा। कांग्रेस के मौजूदा विधायकों की संख्या इससे अभी भी एक ज्यादा है। इसका मतलब है कि अगर भाजपा की टिकट पर लड़ रहे कांग्रेस के सभी पूर्व विधायक चुनाव जीत जाएं तब भी भाजपा के विधायकों की संख्या 31 पहुंचेगी। इस लिहाज से स्पीकर का फैसला भाजपा के लिए झटका है। कांग्रेस का दावा है कि उससे बगावत करने वाले सभी विधायक चुनाव हारेंगे।