shrinathji mandir on janmashtami: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव आज 26 अगस्त को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. देशभर के मंदिरों में रातभर से ही अपने अराध्य के दर्शन के लिए लंबी लाइन लग गई. जन्माष्टमी के मौके पर देशभर में उत्साह और उमंग देख मन तृप्त हो जाता है. को मिलता है उसकी बात ही निराली होती है. जन्माष्टमी से कुछ दिन पहले ही हर तरफ कृष्णमय माहौल देखने को मिलता है. यह बात तो हम सभी जानते है कि मथुरा-वृंदावन की जन्माष्टमी की तो बात ही निराली है. लेकिन राजस्थान भी किसी से कम नहीं है. रजवाड़ों की शान राजस्थान में हर पर्व और त्योंहार का अलग ही उत्साह देखने के मिलता है. राजस्थान में वैसे तो जन्माष्टमी बड़ी ही धूमधाम से मनाई जाती है. कुछ मंदिर ऐसे भी है जहां अलिशान तरह से श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है.
राजस्थान में एक मंदिर ऐसा भी है जहां जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान कृष्ण को 21 तोपों की सलामी दी जाती है. राजस्थान में वैसे तो सभी मंदिरों में पूजा करने का विधान एक जैसा है. लेकिन एक अनोखा मंदिर ऐसा भी है जहां भगवान को रात 12 बजे जन्म के समय 21 तोपों का सलामी दी जाती है. आइए जानते है रजवाड़ों की शान राजस्थान में इस मंदिर का इतिहास और कुछ रोचक तथ्य….
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रजवाड़ों की शान राजस्थान
राजस्थान, जिसे रजवाड़ों की शान के नाम से जाना जाता है, भारत का एक ऐसा राज्य है जो अपनी भव्यता, ऐतिहासिक धरोहरों और राजसी परंपराओं के लिए मशहूर है. राजस्थान की हवेलियाँ, महल, और किले इसकी राजसी संस्कृति और शान का प्रतीक हैं. यहां के रंग-बिरंगे परिधान, लोक संगीत, और नृत्य इस राज्य की अनोखी पहचान को और भी खास बनाते हैं. राजस्थान की खूबसूरती और यहाँ की शाही जीवनशैली हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देने वाली है. यह राज्य न केवल अपने ऐतिहासिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां की संस्कृति और आतिथ्य भी पूरे देश में बेमिसाल है. राजस्थान का श्रीनाथ मंदिर में जन्माष्टमी के अवसर पर कृष्णजी के जन्म पर 12 बजे 21 तोपों की सलामी दी जाती है.
राजस्थान का श्रीनाथजी मंदिर
कृष्ण जन्मोत्सव के मौके पर राजस्थान के नाथद्वारा में श्रीनाथ मंदिर में रात के 12 बजे भगवान कृष्ण जी को 21 बार तोपों की सलामी दी जाती है. यहां पर कृष्ण जी बाल रूप में विराजते हैं और यहां पर जन्माष्टमी के कार्यक्रम सुबह जल्दी ही शुरूहो जाते है और रात को करीब साढ़े ग्यारह बजे आधे घंटे के लिए मंदिर बंद कर दिया जाता है, फिर रात को 12 बजे पट खुलते हैं और तोपों की सलामी देने के बाद बैंड-बाजे, नंगाड़े भी बजाए जाते हैं. इस जश्न के साथ कृष्ण जन्मोत्सव का पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है.
घूमने लायक जगहें और इतिहास
नाथद्वारा का ये कृष्ण मंदिर अरावली पर्वतमाला के पास पड़ता है और यह बनास नदी के किनारे है. इसलिए यहां पर आना न सिर्फ आपके लिए आध्यात्मिक रूप से सुकून भरा रहेगा बल्कि प्रकृति के खूबसूरत नजारे भी आपका मन मोह लेंगे. नाथद्वारा के बास आप रणकपुर घूम सकते हैं. यह एक ऐसी जगह है जो अरावली पहाड़ियों में स्थित है. यहां पर प्राकृतिक नजारों के साथ ही कई दर्शनीय स्थल और किले भी हैं जहां आप घूम सकते हैं.
इसके अलावा कुंभलगढ़ जा सकते हैं. श्रीनाथ मंदिर का इतिहास भी काफी पुराना है. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि औरंगजेब ने इस मंदिर पर हमला कर दिया था, लेकिन यहां के पुजारी श्रीनाथ जी की मूर्ति को सुरक्षित निकालकर ले गए. कहा जाता है कि तोपों से सलामी देने की परंपरा कई पीढ़ियों से निभाई जा रही है.