सहारनपुर। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के सहारनपुर (Saharanpur) के एक गांव में ‘होलिका दहन’ (Holika Dahan) नहीं किया जाता है। बरसी गांव का मानना है कि अगर यहां होलिका दहन किया जाएगा तो भगवान शिव के पैर जल जाएंगे और इसलिए ‘होलिका दहन’ नहीं किया जाता है। स्थानीय महिलाएं होली की पूर्व संध्या पर ‘होलिका दहन’ करने के लिए बगल के गांव में जाती हैं। बरसी में भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह महाभारत (Mahabharata) जितना पुराना है, और इस लोकप्रिय कथा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मान्यता के अनुसार, मंदिर कौरवों और पांडवों द्वारा बनाया गया था, लेकिन कुछ असहमति के कारण, पांच पांडवों में से एक भीम ने अपनी गदा का इस्तेमाल किया और मंदिर के प्रवेश द्वार की दिशा पूर्व से पश्चिम की ओर बदल दी।
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इस वजह से लोगों का मानना है कि होलिका की आग जलाने से भगवान शिव के पैर जल जाएंगे। ग्राम प्रधान आदेश चौधरी (Adesh Chowdhary) ने कहा कि होलिका दहन के लिए, सभी महिलाएं बगल के गांव तिक्रोल में जाती हैं। मुझे नहीं पता कि यह अनुष्ठान कब से शुरू हुआ लेकिन यह काफी समय से ऐसा ही रहा है। यह एक परंपरा है और सीधे धार्मिक भावनाओं से जुड़ी है। किसी ने भी इसे बदलने की कोशिश नहीं की है। मुझे नहीं लगता कि कोई भी इसे बदलेगा। (आईएएनएस)