नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने लोकसभा की सदस्यता खत्म किए जाने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के मामले में शुक्रवार यानी आठ दिसंबर) को महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता खत्म कर दी गई थी। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट सदन में रखी थी और उस पर वोटिंग कराई थी, जिसे ध्वनिमत से पास कर दिया गया था।
लोकसभा से निष्कासन के बाद महुआ ने कहा था कि एथिक्स कमेटी ने उन्हें झुकाने के लिए बनाई गई अपनी रिपोर्ट में हर नियम तोड़ दिया। ये बीजेपी के अंत की शुरुआत है। महुआ मोइत्रा लोकसभा के फैसले के खिलाफ संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हाई कोर्ट भी जा सकती थीं, लेकिन उन्होंने अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
गौरतलब है कि संसद की एथिक्स कमेटी ने तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा को पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के आरोप में दोषी पाया है। भाजपा सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली एथिक्स कमेटी ने नौ नवंबर को अपनी एक बैठक में महुआ मोइत्रा को पैसे लेकर सदन में सवाल पूछने के आरोपों में लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश वाली रिपोर्ट को स्वीकार किया था। इसे कमेटी के सदस्यो के छह-चार के बहुमत से स्वीकार किया गया था। भाजपा के ही एक सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ के ऊपर आरोप लगाए थे।