नई दिल्ली। राहुल गांधी की सजा के मामले में सूरत की अदालत गुरुवार को फैसला सुना सकती है। मानहानि के मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सूरत की सीजेएम की अदालत ने दो साल की सजा सुनाई थी, जिसके बाद उनकी लोकसभा की सदस्यता समाप्त हो गई। राहुल ने सीजेएम कोर्ट के फैसले को जिला व सत्र अदालत में चुनौती दी है। एक दिन की सुनवाई के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
राहुल की सजा बरकरार रहेगी या उस पर रोक लग जाएगी, इसका फैसला गुरुवार को आएगा। सूरत के एडिशनल सेशन कोर्ट जज आरपी मोगेरा ने कहा सुनवाई के बाद कहा था कि वे 20 अप्रैल को फैसला सुनाएंगे। सुनवाई के दौरान राहुल गांधी को उपस्थित न रहने की छूट दी गई थी। उनके वकील आरएस चीमा ने अदालत से कहा था कि मोदी सरनेम के लोगों पर राहुल की टिप्पणी को लेकर मानहानि का केस उचित नहीं था। साथ ही केस में अधिकतम सजा की भी जरूरत नहीं थी।
गौरतलब है कि सूरत के सीजेएम कोर्ट ने 23 मार्च को राहुल गांधी को दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई थी। उसके बाद उन्होंने राहुल को जमानत दे दी थी और ऊपर की अदालत में अपील करने के लिए 30 दिन का समय दिया था। राहुल की टीम ने तीन अप्रैल को इस फैसले के खिलाफ अपील की थी और उस दिन अदालत ने उनको 15 हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दे दी थी।
जिला व सत्र अदालत में सुनवाई के दौरान राहुल के वकील आरएस चीमा ने कहा था कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 389 में अपील लंबित होने पर सजा के निलंबन का प्रावधान है। उन्होंने कहा सत्ता एक अपवाद है लेकिन कोर्ट को सजा के परिणामों पर विचार करना चाहिए। चीमा कहा कि कोर्ट को इस बात पर विचार करना चाहिए कि क्या दोषी को ज्यादा नुकसान होगा। ऐसी सजा मिलना अन्याय है।