नई दिल्ली। रामनवमी के मौके पर देश के कई हिस्सों में हुए सांप्रदायिक दंगे और उसके बाद मीडिया व सोशल मीडिया में हो रहे भड़काऊ प्रचार के बीच मुस्लिम धर्मगुरुओं का एक प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिला है। मुस्लिम धर्मगुरू मंगलवार की रात को शाह से मिले थे। बताया जा रहा है कि गृह मंत्री ने इस मुलाकात में रामनवमी के बाद सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं और नफरत फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बात कही। मुस्लिम धर्मगुरू इस मुलाकात से संतुष्ट थे और उन्होंने शाह की तारीफ भी की।
प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने किया। उनके साथ जमीयत के सचिव नियाज फारूकी और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारूकी और प्रोफेसर अख्तरुल वासे भी इसमें शामिल थे। नियाज फारूकी ने बाद में एक निजी टेलीविजन चैनल से बातचीत में कहा कि बैठक में बिहार, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में सांप्रदायिक हिंसा की हाल की घटनाओं पर मुख्य रूप से चर्चा हुई।
नियाज फारूकी ने गृह मंत्री की तारीफ करते हुए कहा- यह उससे अलग अमित शाह थे, जिन्हें हम राजनीतिक भाषण देते हुए देखते हैं। उन्होंने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। उन्होंने हमें विस्तार से सुना, वे इनकार के मूड में नहीं थे। गौरतलब है कि रामनवमी के जुलूसों के दौरान देश के कई हिस्सों हिंसा की कई घटनाएं हुईं, जिनमें से ज्यादातर गैर बीजेपी शासित राज्य हैं। विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि भाजपा ने राजनीतिक लाभ के लिए हिंसा कराई तो दूसरी ओर भाजपा ने बिहार में राजद, जदयू पर और बंगाल में तृणमूल कांग्रेस पर आरोप लगाया।
फारूकी ने कहा- मुस्लिम नेताओं ने बिहार के नालंदा में हुई एक मदरसे में आग लगाने की घटना का मुद्दा भी उठाया। बैठक में राजस्थान के भरतपुर के निवासी जुनैद और नासिर की हत्या पर भी चर्चा हुई। मुस्लिम नेता ने कहा- भाजपा नेताओं की ओर से नफरत फैलाने वाले भाषण भी दिए गए थे। इस पर उन्होंने हमसे कहा कि सभी प्रकार के लोग हैं, इसलिए सभी को एक ही चश्मे से देखना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि, सरकार इसमें शामिल नहीं थी।