नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने बुधवार को एक जनहित याचिका सात अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की जिसमें अनुरोध किया गया है कि अनेक उद्योगपतियों को ऋण में छूट के संबंध में केंद्र के खिलाफ ‘झूठे बयान’ देने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के खिलाफ जांच करने और मुकदमा चलाने का निर्देश सीबीआई को दिया जाए।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने याचिकाकर्ता सुरजीत सिंह यादव को अपनी याचिका के संबंध में कुछ दस्तावेज जमा करने के लिए समय दिया। याचिकाकर्ता के वकील ने अतिरिक्त दस्तावेज जमा करने के लिए समय मांगा था। अदालत ने याचिका को सात अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि ‘बट्टे खाते में डालना’ और ‘माफ करना’ दोनों एक बात नहीं हैं और मौजूदा मामले में मीडिया में गलत तरह से प्रसारित किया गया कि उद्योगपतियों को दिये गये करोड़ों रुपये के कर्ज को ‘माफ कर दिया गया’। किसान और सामाजिक कार्यकर्ता होने का दावा करने वाले याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि ‘बट्टे खाते में डालना’ बैंकों की एक नियमित प्रक्रिया है जिसमें इस उम्मीद के साथ उनके बही-खातों को दुरुस्त किया जाता है कि कर्ज की भरपाई बाद में कर ली जाएगी। उन्होंने कहा कि कुछ समाचार संस्थाओं द्वारा राहुल गांधी और केजरीवाल के ‘भ्रामक बयानों’ का प्रकाशन केंद्र सरकार की ‘नकारात्मक छवि बनाने का जानबूझकर किया गया प्रयास’ है जिसके परिणामस्वरूप देश में उसकी नकारात्मक छवि बनी है। (भाषा)