इंफाल। एक तरफ भारत सरकार हिंसाग्रस्त सूडान में फंसे भारतीयों को सुरक्षित बाहर निकाल रही है तो दूसरी ओर देश के अंदर ही हिंसाग्रस्त मणिपुर में फंसे अलग अलग राज्यों और समुदायों के लोगों को सुरक्षित निकालने का अभियान चल रहा है। राज्य में अलग अलग समुदायों के 23 हजार लोगों के सुरक्षित निकाल कर सैन्य कैंपों में पहुंचाया गया है। नगालैंड, सिक्किम, महाराष्ट्र आदि राज्यों के लोगों को भी वहां से निकाला गया है। गौरतलब है कि राज्य के दो समुदायों के बीच हुई हिंसा में 54 लोगों की जान जा चुकी है।
हालांकि मणिपुर में अब हिंसा अब थम गई है। फिर भी हालात सामान्य होने में समय लगेगा। चूराचांदपुर जिले में रविवार सुबह सात बजे से 10 बजे तक के लिए कर्फ्यू हटाया गया, ताकि लोग अपनी जरूरत का सामान खरीद सकें। गौरतलब है कि 27 अप्रैल को चूराचांदपुर जिले से ही हिंसा शुरू हुई थी, जो पूरे राज्य में फैल गई। इस हिंसा में अब तक 54 लोगों की मौत हो चुकी है। एक सौ से ज्यादा लोग घायल हैं।
सेना के मुताबिक, अब तक सभी समुदायों के 23 हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाल कर सैन्य कैंप में भेजा गया है। राज्य में सुरक्षा बलों की 14 कंपनी तैनात की गई हैं। केंद्र सरकार 20 और कंपनी राज्य में भेजने वाली है। देश के बाकी राज्यों ने मणिपुर में मौजूद अपने छात्रों को निकालने की मुहिम तेज कर दी है। रविवार को नगालैंड ने 676, सिक्किम ने 128 और महाराष्ट्र ने 22 लोगों को मणिपुर से निकाला।
इस बीच मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने राज्य में हालात को संभालने के लिए शनिवार को ऑल पार्टी मीटिंग की थी। मीटिंग में उन्होंने कहा कि सभी लोग पार्टी लाइन से हटकर तनाव को कम करने और स्थिति सामान्य करने के लिए काम करें। सभी लोगों ने इस पर सहमति भी जताई। दूसरी ओर भाजपा विधायक डिंगांगलुंग गंगमेई ने कहा है कि मैती समुदाय एक जनजाति नहीं है और इसे कभी इस रूप में मान्यता भी नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि ये आदेश देना हाई कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। गौरतलब है कि मैती समुदाय को एसटी में शामिल करने की मांग पर हाई कोर्ट की ओर से राज्य सरकार को नोटिस भेजे जाने का बाद ही हिंसा भड़की थी।