राजस्थानियों की पहली पसंद चाय…कहीं कैसर का कारण तो नहीं!

राजस्थानियों की पहली पसंद चाय…कहीं कैसर का कारण तो नहीं!

harmfull tea: सभी भारतीयों के दिन की शुरूआत होती है चाय के साथ है. सुबह की चाय ना मिले तो पुरा दिन अधुरा सा लगता है. चाय के बिना किसी भी भारतीय के दिन की शुरुआत नहीं होती है. कुछ लोगों को तो ऐसी लत होती है कि चाय ना मिले तो सिर में दर्द होना शुरू हो जाता है. टी लवर्स अपनी चाय के बिना एक दिन भी नहीं गुजार पाते है. पर क्या आप जानते हैं कि जो चाय हमें इतनी पसंद है जिसके बिना हम जी नहीं पाते है वहीं हमें कैंसर तक का मरीज बना सकती है. वैसे ये पेट या दूसरी समस्याओं का बड़ा कारण है फिर भी कुछ लोगों को इसकी लत लगी रहती है. चाय को बनाते वक्त इसमें कलर मिलाए जाते हैं जिसकी वजह से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी तक का रिस्क रहता है. ऐसा ही मामला कर्नाटक से सामने आया है जहां फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में चाय को जहरीले तरीके से तैयार करने का दावा किया गया है. इससे पहले कर्नाटक में पानी पुरी के पानी के सैंपल लिए गए थे जिनमें से 71 सैंपल में कैंसर को बढ़ाने का रिस्क पाया गया था. इसी राज्य में एफएसएसएआई गोभी मंचूरियन और कॉटन कैंडी जैसे टेस्टी फूड्स में कलर को मिलाने के मामले सामने आए थे. फूड सेफ्टी अधिकारियों ने पानी पुरी की दुकानों और ठेलों से सैंपल कलेक्ट किए थे. चलिए आपको बताते हैं कि किस तरह ये चाय आपके लिए जहरीली साबित हो सकती है.

क्या है पूरा मामला

फूड सेफ्टी अधिकारियों ने पानीपुरी की तरह कर्नाटक में टपरी या ठेलों पर मिलने वाली चाय पत्ती के सैंपल लिए. रिपोर्ट्स के मुताबिक इसमें पाया गया की चाय की धूल, कीटनाशक और कलर्स को मिलाकर टी को सेहत के लिए खतरनाक बना दिया जाता है. कहा जा रहा है कि नॉर्थ कर्नाटक से करीब 50 सैंपल लिए गए और ये पाया गया कि चाय की पत्ति को तैयार करते समय इसमें बड़ी मात्रा में पेस्टिसाइड का इस्तेमाल किया जा रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक कैंसर का खतरा बढ़ाने वाले एडिटिव्स रोडामाइन-बी और टार्ट्राजिन का यूज सिर्फ खानपान की चीजों को अट्रैक्टिव बनाने के लिए किया जा रहा है. ये एक बड़े खतरे का संकेत है. चाय में कैफीन पाया जाता है जिससे हम देखते है कि ज्यादातर ऑफिस में इसका सेवन अधिक मात्रा में किया जाता है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

इस मामले में एक्सपर्ट कहते हैं कि चाय जैसे प्रोडक्ट्स की प्रोसेसिंग के दौरान इनमें रोड़ामाइन बी ओर कर्मोसैन फूड कलर मिलाया जाता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि इस तरह की चाय को पीने से आपके शरीर में बीमारी बनती है. लंबे समय तक सेवन से कैंसर का खतरा हो सकता है. रोड़ामाइन बी एक ऐसा केमिकल है जो कैंसर कारक है. हालांकि अगर चाय में इसको नहीं मिलाया जा रहा तो कोई रिस्क नहीं है. भारतीयों में अधिकतर लोग दूध वाली चाय के शौकीन हैं. ये स्वाद में शानदार है पर इसे रोज पीने से सेहत को कई नुकसान होते हैं. इस तरीके से बनाई गई चाय को लोग खाली पेट पीते हैं. इस कारण मेटाबॉलिज्म कमजोर पड़ता है. लंबे समय तक ऐसा हो तो एक इंसान ब्लोटिंग, एसिडिटी और पेट से संबंधित दूसरी हेल्थ प्रॉब्लम्स का शिकार बन जाता है. चाय में कैफीन होता है जो हमारे रात में नींद आने के सिस्टम को भी प्रभावित करता है. अगर इसका ज्यादा सेवन किया जाए तो रात में नींद नहीं आने की शिकायत हो जाती है.

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