दूर्वा अष्टमी 11 सितंबर को, गणेश जी को दूब क्यों चढ़ाई जाती है……

दूर्वा अष्टमी 11 सितंबर को, गणेश जी को दूब क्यों चढ़ाई जाती है……

Ganesh Chaturthi 2024: देशभर में गणेशउत्सव का पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. 7 सितंबर से शुरू हुआ यह पर्व 10 दिनों तक बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाएगा. इन्ही 10 दिनों में दूर्वाष्टमी का महत्वपूर्ण व्रत भी आता है. गणेश चतुर्थी के 4 दिन बाद यानी पंचांग के मुताबिक भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की आठवीं तिथि पर दूर्वाष्टमी व्रत होता है. इस बार दूर्वाष्टमी का व्रत 11 सितंबर को रहेगा. इस दिन भगवान गणेश को खासतौर से दूर्वा चढ़ाने की परंपरा है. माना जाता है इस दिन दूर्वा से गणेशजी की विशेष पूजा करने से हर तरह की परेशानियां दूर होती हैं और मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं. इससे जुड़ी कथा पुराणों में भी है. जिसमें राक्षस को मारने के बाद गणेशजी को दूर्वा चढ़ाई और तब से ये परंपरा चली आ रही है। (Ganesh Chaturthi 2024) 

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गणपति जी को दूर्वा क्यों चढ़ाते है…

दूर्वा यानि दूब एक प्रकार की घास है. मान्यता के अनुसार यह घास गणेशजी को अत्यंत प्रिय है. इसका छोटी-छोटी गांठे गणपति जी की पूजा में चढ़ाई जाती है. पौराणिक कथा के अनुसार गणेशजी ने देवताओं का रक्षा के लिए अनलासुर नामक राक्षस को निगल लिया था. अनलासुर दैत्य को निगलने के बाद से गणेशजी के पेट में जलन होने लगी थी. तब ऋषि कृश्यप ने गणपति जी को खाने के लिए दूर्वा दी थी. दूर्वा खाने के बाद से भगवान गणेश जी के पेट की जलन खत्म हो गई थी. तब से गणेशजी के पूजा में दूर्वा तढ़ाने की परमपरा है.

किसी भी शुभ कार्य में शुभ है दुर्वा

दूर्वा हिंदू धर्म के धार्मिक कर्मकांडों और मांगलिक कार्यों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसका उपयोग विशेष रूप से भगवान श्री गणेश की पूजा में होता है, क्योंकि यह घास उन्हें अत्यंत प्रिय है। हिंदू परंपराओं के अनुसार, दूर्वा के बिना कोई भी पूजा या मांगलिक कार्य जैसे गृहप्रवेश, मुंडन, विवाह आदि अधूरे माने जाते हैं। तंत्र शास्त्र में दूर्वा अर्पण का विशेष विधान है, जिसमें भगवान गणेश को दो, तीन या पाँच दूर्वा अर्पित करने का उल्लेख मिलता है।

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