कब तक चलाएंगे हिंदू बनाम मुसलमान?

जिस समय सीतारमन अमेरिका में बोल रही थीं कि लेख लिखने वाले भारत आकरदेखे कि यहां मुसलमान किस तरह रह रहे हैं उसी समय छत्तीसगढ़ में भाजपानेताओं की मौजूदगी में व्यापारियों को शपथ दिलाई जा रही थी कि वेमुसलमानों के साथ किसी तरह का लेन-देन का व्यवहार नहीं रखेंगे। उनसे कुछ नहीं खरीदेंगे, कुछ नहीं बेचेगे। यह विडियो चल रहा है। इससे पहले इसीछत्तीसगढ़ में महात्मा गांधी को गाली दी गई। और फिर उसी गाली देने वाले व्यक्ति कालीचरण महाराज का इन्दौर में खुली तलवारों गाजे बाजों के साथ स्वागत जुलूस निकाला गया।

भाजपा के पास देश में केवल हिंदू-मुसलमान मुद्दा है। मगर विदेश में उसेइस पर सफाई देना पड़ती है। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन इन दिनों अमेरिका की यात्रा पर हैं। और वहां के अख़बार भरे पड़े हैं कि हिन्दुस्तान में किस तरह साम्प्रदायिकता बढ़ाई जा रही है। रोज नए इलाकोंमें तनाव बढ़ाया जा रहा है। इसके पीछे नफरत का माहौल, अफवाहें, हेट स्पीचहैं। सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच पर बहुत सख्त टिप्पणी की है। मगर भाजपाके नेता यहां तक की मंत्री भी गोली मारो… जैसी भाषा बोलते हैं। मीडिया का एक बड़ा हिस्सा सरकारी मीडिया दूरदर्शन के एंकर खुले आम कहते हैं किहां, हम इस्लामफोबिक ( इस्लाम से नफरत करने वाले) हैं और इसइस्लामिकफोबिया को और बढ़ा रहे हैं। हर चीज के साथ जिहाद लगाकर मुसलमानोंको शक के घेरे में खड़ा किया जा रहा है। रोटी जिहाद, आईएएस जिहाद पचासतरह के जिहाद अफवाहों और छोटे नेताओं के जरिए चलाए जा रहे थे। अब एक सबसेबड़े चैनल ने खुले आम मजार जिहाद चला दिया।

सरकार यहां इस पर नियंत्रण नहीं कर रही है। बल्कि खुद प्रधानमंत्रीकपड़ों से पहचानने, कब्रिस्तान और श्मशान जैसी विभाजनकारी बात करते हैं।जाहिर है कि इसका असर दुनिया में जाएगा। अब जब 2024 के लोकसभा चुनावनजदीक आ गए तो बिहार, बंगाल, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ जैसे नए राज्यों मेंमाहौल खराब किया जा रहा है। सोशल मीडिया नफरती नारों और भाषणों से भरपड़ा है। और मेन मीडिया जो कहता है हमें गोदी मीडिया न कहो वह दंगामीडिया बन गया है।

ऐसे में भारत की वित्त मंत्री को जो टाप कहे जाने वाले तीन मंत्रालयोंगृह, रक्षा, वित्त के मंत्रियों में सबसे ज्यादा पढ़ी लिखी अंग्रेजीबोलने वाली मंत्री हैं उन्हें दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशमें आर्थिक मामलो के बदले हिन्दु-मुसलमान पर बात करना पड़ रही है। वेवहां के पत्रकारों, लेखकों, बुद्धिजीवियों से कह रही हैं कि आप भारत आकरदेखिए मुसलमानों की स्थिति क्या है। मैं आपकी मेजबान होउगीं।

क्या जरूरत आ गई यह सब कहने की? 9 साल पहले क्या किसी मंत्री को यह सबकहना पड़ा था? उल्टे वहां के लोग भारत की मेलजोल की संस्कृति की तारीफकरते थे। जहर तो एक बार बोया जाता है। फिर तो वह अपने आप बढ़ता जाता है।पहले भारत में प्रेम और सद्भाव का माहौल था। हिन्दु-मुसलमान का फर्क कहीं

महसूस ही नहीं होता था। आज तो नमाज पढ़ने पर ऐसे सवाल उठा रहे हैं जैसेकोई राष्ट्रविरोधी काम कर रहे हों। यह बहस का विषय नहीं है। मगर देश मेंहर जगह सार्वजनिक स्थानों पर सब धर्मों के कार्यक्रम होते रहते हैं।लेकिन अब रमजान में किसी के घर इकट्ठे होकर भी कुछ लोग नमाज पढ़ते हैं तोइसका विरोध होने लगता है। अफ्तार जिसे रोजा खोलना कहते हैं। चार लोगमिलकर अगर कहीं आफिस में, या अब कई आफिसों में बंद हो गया है तो आफिस केबाहर, पार्क में या कहीं करते हैं तो वहां लोग नारे लगाने पहुंच जातेहैं। कौन लोग हैं ये? बहकाए हुए लड़के। व्हट्सएप से इनके दिमागों मेंनफरत भर दी गई है। और फिर टीवी पर रोज ऐसे कार्यक्रम दिखाए जाते हैं किनफरत और बढ़ती है।

पता नहीं कैसे भाजपा और आरएसएस समझ रही है कि इससे देश का नाम होगा! अगरनाम होता तो क्यों वित्त मंत्री सीतारमन को अमेरिका में सफाईयां देनी पड़ती? अरब मुल्कों में लाखों भारतीय काम करते हैं। इनमें हिन्दुओं कीतादाद ही ज्यादा है। वहां कभी भारतीयों को हिन्दु मुसलमान के सवाल कासामना नहीं करना पड़ा। लेकिन अब वहां के एम्पलायर पूछते हैं कि आपके यहांयह हिंदू मुसलमान क्यों होने लगा?

पिछले कुछ समय में मुसलमानों के कई प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री मोदी सेलेकर गृहमंत्री अमित शाह , आरएसएस चीफ मोहन भागवत और संघ के दूसरे बड़ेपदाधिकारियों से मिले। अभी हाल में रामनवमी पर बिहार में एक ऐतिहासिकलायब्रेरी और मदरसा जलाए जाने के खिलाफ जमीयत उलेमा ए हिन्द के महासचिवमहमूद मदनी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल ने केन्द्रीय गृह मंत्रीअमित शाह से मुलाकात की।

मगर लगता है कि भाजपा और संघ कुछ समझने मानने को तैयार नहीं है। उसे लगताहै कि हिंदू-मुसलमान का माहौल बनाने से ही उसके पक्ष के ध्रुवीकरण होताहै। और वह चुनाव जीतती है। अभी जब कुछ उर्दू संपादक और अन्य स्कालरो कीसंघ के एक उच्च पदाधिकारी से मुलाकात हुई थी तो उसमें कहा गया कि हमें तोइस माहौल का फायदा मिलता है। बात सही है। मगर क्या देश को भी मिलता है?

बड़ा सवाल यही है। भाजपा 9 साल से सत्ता में है। संघ की जितनी शिकायतेंथी कि उसे सरकार यह नहीं करने देती वह नहीं करने देती। सब दूर हो गई हैं। मीडिया पूरी तरह कब्जे में आ गया है। सारी संवैधानिक संस्थाएं भी। तोक्या अब भी उसके पास अपना वही पुराना हथियार है। हिंदू-मुसलमान का! औरक्या वही परमानेट रहेगा? क्या नतीजा होगा इसका?

युवा बेरोजगार हैं। मंहगाई आसमान छू रही है। अर्थव्यवस्था पर रोज नई चेतावनियां आ रही हैं। सरकारीबैंक, जीवन बीमा निगम और अन्य वित्तिय संस्थान अपनी सीमाओं से बाहर जाकरकर्ज दे चुके हैं या निवेश कर चुके हैं। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में साफ हैकि अडानी का जहाज डूबेगा। राहुल गांधी रोज सवाल कर रहे हैं कि अडानी कीशैल ( जाली) कंपनियों में बीस हजार करोड़ रुपया किसका है? मगर अमेरिकामें इन संदेहों का निराकरण करके देश की आर्थिक तस्वीर साफ सुथरी बताने केबदले वित्त मंत्री को हिंदू-मुसलमान के मुद्दे पर सफाइयां देना पड़ रहीहैं।

जिस समय सीतारमन अमेरिका में बोल रही थीं कि लेख लिखने वाले भारत आकरदेखे कि यहां मुसलमान किस तरह रह रहे हैं उसी समय छत्तीसगढ़ में भाजपानेताओं की मौजूदगी में व्यापारियों को शपथ दिलाई जा रही थी कि वेमुसलमानों के साथ किसी तरह का लेन-देन का व्यवहार नहीं रखेंगे। उनसे कुछनहीं खरीदेंगे, कुछ नहीं बेचेगे। यह विडियो चल रहा है। इससे पहले इसीछत्तीसगढ़ में महात्मा गांधी को गाली दी गई। और फिर उसी गाली देने वालेव्यक्ति कालीचरण महाराज का इन्दौर में खुली तलवारों गाजे बाजों के साथस्वागत जुलूस निकाला गया। छत्तीसगढ़ जैसे शांत प्रदेश में में यह सबक्यों हो रहा है क्योंकि वहां इस साल चुनाव हैं। और गोदी मीडिया भी कहरहा है कि वहां भाजपा कमजोर स्थिति में है। तो जैसा कि संघ और भाजपा केनेता कहते हैं कि नफरत और विभाजन बढ़ाने से वोट हमारे पक्ष मेंकन्सोलेटेड होता है तो वह यह कोशिश छत्तीसगढ़ में तेज कर रहेहैं।

मगर सवाल फिर वही कि इसका नतीजा क्या होगा। एक पुराना जनगीत है लोगों केबीच समूह गान होता था –

“दोनों लड़ते, लड़ लड़ मरते, लड़ते लड़ते खत्म हुए

नेता ने सत्ता की खातिर मंदिर मस्जिद खेल दिया

धरम के ठेकेदार से मिलकर लोगों को नाकाम किया

वोट मिले नेता जीता शोषण को आधार मिला

किसका ये मकसद है और किसकी चाल है जान लो!”

बहुत गाया जाता था। आज तो कोई गाए तो उसी को पकड़ लेंगे। आर के लक्ष्मणका एक जबर्दस्त कार्टून है। उसमें व्यक्ति कह रहा है मैंने अफवाह नहींफैलाई। पुलिस कह रही है हमें मालूम है मगर तुम फैक्ट बता रहे हो। सच बतारहे हो!

आज यही सबसे बड़ा अपराध है। मगर कुछ लोगों को करना पड़ेगा। जिन्हें लगताहै कि देश बड़ा है, सत्ता छोटी है उन्हें बोलना पड़ेगा। गीत में जो यह हैकि लड़ते लड़ते खत्म हुए तो यह केवल दोनों के लिए, जनता के लिए ही नहींहै, यह हमारे महान देश के लिए भी है। जिसके लिए कहा गया था कि –

“कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी

सदियों रहा है दुश्मन दौर ए जमां हमारा!”

वह कुछ बात प्यार मोहब्बत भाईचारा आपसी सद्भाव कायम रखना होगा। जो बातवित्त मंत्री को विदेश में कहना पड़ रही है उसे देश में कहना होगी।

Published by शकील अख़्तर

स्वतंत्र पत्रकार। नया इंडिया में नियमित कन्ट्रिब्यटर। नवभारत टाइम्स के पूर्व राजनीतिक संपादक और ब्यूरो चीफ। कोई 45 वर्षों का पत्रकारिता अनुभव। सन् 1990 से 2000 के कश्मीर के मुश्किल भरे दस वर्षों में कश्मीर के रहते हुए घाटी को कवर किया।

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