नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक और देश के उप प्रधानमंत्री रहे लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। अटल बिहारी वाजपेयी और नानाजी देशमुख के बाद भारतीय जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी से जुड़े वे तीसरे नेता हैं, जिनको सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिलेगा। इन तीनों को नरेंद्र मोदी के केंद्र की सत्ता में आने के बाद भारत रत्न मिला है। गौरतलब है कि नागरिक पुरस्कारों की घोषणा आमतौर पर गणतंत्र दिवस के मौके पर होती है। इस साल गणतंत्र दिवस से ठीक पहले कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न ने की घोषणा की गई थी और शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर बताया कि लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर आडवाणी के साथ अपनी दो तस्वीरें साझा कीं और लिखा- मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। मैंने उनसे बात भी की और उन्हें यह सम्मान दिए जाने पर बधाई दी। गौलतलब है कि 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा दिया गया यह सातवां भारत रत्न है। आडवाणी और कर्पूरी ठाकुर से पहले मोदी सरकार ने मदन मोहन मालवीय, अटल बिहारी वाजपेयी, प्रणब मुखर्जी, भूपेन हजारिका और नानाजी देशमुख को यह सम्मान दिया।
लालकृष्ण आडवाणी ने भारत रत्न मिलने पर कहा- मैं अत्यंत विनम्रता और कृतज्ञता के साथ भारत रत्न स्वीकार करता हूं जो आज मुझे प्रदान किया गया है। यह न सिर्फ एक व्यक्ति के रूप में मेरे लिए सम्मान की बात है, बल्कि उन आदर्शों और सिद्धांतों के लिए भी सम्मान है, जिनकी मैंने अपनी पूरी क्षमता से जीवन भर सेवा करने की कोशिश की। इससे पहले 2015 में आडवाणी को देश के दूसरे सबसे नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। वे आजादी के पहले से राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से जुड़े रहे हैं।
गौरतलब है कि 96 साल के लालकृष्ण आडवाणी ने 1989 में पालमपुर अधिवेशन में राममंदिर आंदोलन का प्रस्ताव रखा था। 1991 में वे गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या की रथयात्रा लेकर निकले थे और उस यात्रा ने भाजपा को भारतीय राजनीति में स्थापित करने में सबसे ज्यादा मदद की। भाजपा के नेताओं की दो पीढ़ी आडवाणी ने तैयार की। 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार रहते भाजपा के चुनाव हारने के बाद आडवाणी राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे लेकिन पाकिस्तान यात्रा में मोहम्मद अली जिन्ना की तारीफ के बाद उनको बेहद विवादित स्थितियों में अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा था। हालांकि पार्टी ने 2009 का लोकसभा चुनाव उनको प्रधानमंत्री पद का दावेदार बना कर लड़ा था लेकिन भाजपा सिर्फ 114 सीटें ही जीत पाई। 2014 में वे आखिरी बार लोकसभा का चुनाव लड़े थे।