नई दिल्ली। अलग अलग मामलों में जमानत के मसले पर प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी के कामकाज पर सवाल उठाने के बाद सर्वोच्च अदालत ने बुधवार को एक बार फिर ईडी को फटकार लगाई। धन शोधन से जुड़े मामले में आरोपियों को दस्तावेज देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने सुनवाई की और सवालिया लहजे में कहा कि क्या यह व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन नहीं है।
बुधवार को जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने सुनवाई की। ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एसवी राजू कोर्ट में मौजूद रहे। बेंच ने ईडी से पूछा कि क्या एजेंसी का आरोपी को जांच के दौरान जब्त किए दस्तावेजों को नहीं देना जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं है। असल में 2022 का सरला गुप्ता बनाम ईडी का मामला इस सवाल से संबंधित है कि क्या जांच एजेंसी आरोपी को उन महत्वपूर्ण दस्तावेजों से वंचित कर सकती है, जिन पर वह सुनवाई के शुरुआती चरण में पीएमएलए मामले में भरोसा कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार की सुनवाई में कहा- क्या हम इतने कठोर हो जाएंगे कि व्यक्ति केस का सामना कर रहा है, लेकिन हम जाकर कहते हैं कि दस्तावेज सुरक्षित हैं? क्या यह न्याय होगा? जमानत के मामले पर भी अदालत ने कहा- ऐसे बहुत ही गंभीर मामले हैं जिनमें जमानत दी जाती है, लेकिन आजकल मजिस्ट्रेट के मामलों में लोगों को जमानत नहीं मिल रही है। समय बदल रहा है। क्या हम इस बेंच के तौर पर इतने कठोर हो सकते हैं?