नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में जूनियर डॉक्टर के साथ बलात्कार और जघन्य हत्या पर चल रहे विवाद के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार, 31 अगस्त को कहा कि महिलाओं की सुरक्षा के कठोर कानून देश में पहले से बने हुए हैं। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी को दो चिट्ठी लिखी है और कठोर कानून की मांग की है। ममता ने दो सितंबर को पश्चिम बंगाल विधानसभा का दो दिन का सत्र बुलाया है, जिसमें एक कठोर कानून पास किया जाएगा।
बहरहाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को दिल्ली के भारत मंडपम में जिला अदालतों की नेशनल कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने कहा- आज महिलाओं के खिलाफ अत्याचार, बच्चों की सुरक्षा समाज की गंभीर चिंता है। देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कठोर कानून बने हैं। उन्होंने कहा- 2019 में सरकार ने फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट की स्थापना की थी। इसके तहत अहम गवाहों के लिए डिपोजिशन सेंटर्स का प्रावधान है। इसमें भी डिस्ट्रिक्ट मॉनिटरिंग कमेटी की भूमिका अहम है, जिसमें जिला जज, कलेक्टर और एसपी शामिल होते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इन कमेटी को और सक्रिय करने की जरूरत है। महिला अत्याचारों से जुड़े मामलों में जितनी तेजी से फैसले आएंगे, आधी आबादी को सुरक्षा का उतना ही अधिक आश्वासन मिलेगा। दो दिन तक चलने वाले इस कॉन्फ्रेंस में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल शामिल हुए। इसमें प्रधानमंत्री ने कहा- न्याय में देरी को खत्म करने के लिए बीते एक दशक में कई स्तर पर काम हुए हैं। पिछले 10 सालों में देश ने ज्यूडिशियल इंफ्रास्ट्रक्चर पर करीब आठ हजार करोड़ रुपए खर्च किए हैं।
गौरतलब है कि जिला अदालतों की दो दिन की नेशनल कॉन्फ्रेंस का आयोजन सुप्रीम कोर्ट ने किया है। इस कॉन्फ्रेंस में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की जिला अदालतों के आठ सौ से ज्यादा प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। कॉन्फ्रेंस में पांच सत्र आयोजित किए जाएंगे। सम्मेलन के पहले दिन अदालतों के इंफ्रास्ट्रक्चर और मानव संसाधन को बढ़ाने के तरीकों की खोज पर चर्चा हुई। जजों की सुरक्षा और कल्याणकारी पहलुओं पर भी इसमें विचार विमर्श होगा।