झारखंड में भी भाजपा थोड़ा समय चाहती थी। इसका कारण यह है कि पिछले कुछ दिनों में भाजपा को ऐसी फीडबैक मिली है कि राज्य में उसकी स्थिति सुधर रही है और झारखंड मुक्ति मोर्चा की जो स्थिति पहले थी वह कमजोर हो रही है। भाजपा में माना जा रहा है कि जेल से छूटते ही हेमंत सोरेन ने जिस तरह से चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री पद से हटाया और खुद मुख्यमंत्री बने गए उससे एक खास इलाके के आदिवासियों में नाराजगी है। दूसरे, उनके जेल में रहने से उनके प्रति जो सहानुभूति का भाव था वह कम हुआ है। उनके जेल में रहते उनकी पत्नी कल्पना सोरेन पार्टी की कमान संभाले हुए थीं और लगातार प्रचार कर रही थीं। उससे महिलाओं में भी सहानुभूति बन रही थी।
इसी सहानुभूति पर कल्पना सोरेन बड़े बहुमत से विधानसभा का चुनाव जीती थी। अब हेमंत और कल्पना सोरेन दोनों साथ साथ सक्रिय हैं। दूसरी ओर भाजपा ने शिवराज सिंह चौहान को चुनाव प्रभारी बनाया है और हिमंत बिस्व सरमा को सह प्रभारी बनाया है। दोनों झारखंड में बड़ी मेहनत कर रहे हैं। खासतौर से असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा कुछ ज्यादा ही सक्रिय हैं। वे जमीन स्तर पर भाजपा की तैयारियां करा रहे हैं और लव जिहाद, लैंड जिहाद, बांग्लादेशी घुसपैठिए आदि का नैरेटिव बनवा रहे हैं। इससे भाजपा अपना वोट एकजुट होता देख रही है। हेमंत सोरेन की आक्रामक राजनीति की वजह से जेएमएम को आदिवासी पार्टी माना जा रहा है और इससे भाजपा को उम्मीद है कि वह गैर-आदिवासी वोट अपने साथ जोड़ लेगी। तभी पार्टी चाहती थी कि उसे चुनाव के लिए थोड़ा समय मिले। यह भी संयोग है कि चुनाव आयोग ने समय दिया। उसने झारखंड के चुनाव की घोषणा नहीं की।
कुल मिलाकर लग रहा है कि महाराष्ट्र के साथ हरियाणा का चुनाव होगा और 25 नवंबर तक दोनों राज्यों में मतदान की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी यानी नतीजे आ जाएंगे। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि महाराष्ट्र में विधानसभा का कार्यकाल 25 नवंबर तक है। उससे पहले नई विधानसभा गठित होनी चाहिए। सो, संभव है कि अक्टूबर में चुनाव की घोषणा हो। विजयादशमी इस साल 12 अक्टूबर को है। 10 दिन का यह त्योहार शुरू होने से पहले जम्मू कश्मीर और हरियाणा का चुनाव निपट जाएगा। उसके बाद महाराष्ट्र व झारखंड के चुनाव की घोषणा होगी। चुनाव प्रचार के दौरान दिवाली और भाईदूज का त्योहार आएगा। ये दोनों चुनाव पूरे देश में मनाए जाते हैं। झारखंड में तो दिवाली के साथ साथ छठ पूजा और गंगा स्नान का भी बड़ा त्योहार है। ये सब चुनाव प्रचार के दौरान ही मनेंगे।