युद्ध बाद क्या करेगा?

युद्ध बाद क्या करेगा?

क्या गाजा का कोई भविष्य है? हमास के साथ युद्धख़त्म होने के बाद इजराइल क्या करेगा?

ये प्रश्न परस्पर विरोधीभासी होते हुए भी आपस में जुड़े हुए हैं। इजरायली सेना ने 28 अक्टूबर से जो कार्यवाही आरंभ की है उसे वहां के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने युद्ध का दूसरा चरण बताया है – गाजा पर जमीनी आक्रमण। उन्होंने आगाह किया है कि यह चरण ‘लंबा और कठिन’होगा।और वे सही कह रहे हैं। पिछले तीन हफ्तों से जारी युद्ध के पहले चरण का लक्ष्य था हमास का खात्मा। इसका अर्थ है इस संगठन के सैन्य ढांचे को नष्ट करना, उसके शीर्ष नेतृत्व को मौत के घाट उतारना और उसके अधिक से अधिक मैदानी सैनिकों की जान लेना। चूंकि हमास ने बड़ी संख्या में यहूदियों की हत्या करने के लिए हमला किया था इसलिए इजरायल को अब पहले का मंजर मंज़ूर नहीं है जिसमें हमास की हिंसक गतिविधियों को आर्थिक मदद के लालच और हमले की धमकी के मिश्रण से काबू में रखा जाता था।

और यह बात समझी जा सकती है। हमास ने इजरायली खुफिया एजेंसियों और सेना के लिए शर्मनाक स्थिति पैदा कर दी। और जब तक हमास ताकतवर रहेगा, इसराइल सुरक्षित नहीं होगा और नाही सुरक्षित महसूस करेगा। साथ ही, जबतक हमास की मौजूदगी रहेगी तब तक शांति कायम होने की कोई संभावना नहीं है। हमास और इजराइल के बीच टकराव जारी रहेगा। यह बमबारी का शिकार बन रहे लोगों के लिए एक कटु सत्य है कि गाजा के निवासियों को भी तब तक तकलीफों का सामना करना पड़ेगा जब तक वहां हमास की तानाशाहीपूर्ण सत्ता कायम रहेगी और उसके नतीजे में इजराइल की दमघोंटु सुरक्षा व्यवस्था भी।

हालांकि इजराइल के अपनी सुरक्षा करने और बमबारी करने के अधिकार को पश्चिम ने ‘स्वीकार’कर लिया है, लेकिन सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि हमास के साथ चल रहे युद्ध की समाप्ति के बाद क्या होगा? उसके बाद बीबी क्या करेंगे? यह कोई नहीं बता सकता और नेतन्याहू इस बारे में जो बातें कर रहे हैं, वह कर पाना संभव है।

ऐसा बताया जाता है कि उन्होंने यूरोपीय नेताओं को इस बात के लिए राजी करने का प्रयास किया कि वे मिस्र पर शरणार्थियों को कम से कम अस्थायी रूप से वहां आने और रहने की अनुमति देने के लिए दबाव डालें। यह एक पुराना सुझाव है जो दुबारा दिया जा रहा है। एक इजरायली थिंक टैंक, जिसके प्रमुख एक पूर्व अधिकारी हैं, ने एक दस्तावेज प्रकाशित किया (बाद में उसे डिलीट कर दिया गया) जिसमें अनुशंसा की गई थी कि यह ‘‘पूरी गाजा पट्टी को खाली करवाने का एक अनूठा और दुर्लभ अवसर है”। ऐसा कहा जा रहा है कि इजरायली सरकार की एक अनुसंधान संस्था की एक रिपोर्ट, जो लीक हो गई, में यह सिफारिश की गई थी कि वहां के सभी 22 लाख निवासियों को बलपूर्वक स्थायी रूप से हटा दिया जाए।मिस्र ने साफ़ कर दिया है कि वह यह नहीं होने देगा और इसका एक कारण यह है कि सभी जानते हैं कि एक बार फिलिस्तीनी गाजा पट्टी छोड़ देंगे तो उसके बाद उनका वहां वापस जाना संभव नहीं होगा।

अमरीकी विदेशमंत्री एंटोनी ब्लिंकेन ने सीनेट की एक समिति को संबोधित करते हुए मंगलवार को कहा,“इजराइल गाजा पर नियंत्रण रखे या वहां शासन करे यह भी संभव नहीं है, और इजराइली स्वयं शुरू से यह मानते हैं।” उन्होंने कांग्रेस को बताया कि वे मानते हैं कि इजराइल के हटने के बाद फिलीस्तीनी अथारिटी को और मजबूत बनाकर उसके द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से गाजा का प्रशासन चलाया जाना चाहिए।लेकिन बीबी का इजराइल अब तक भविष्य की कोई योजना लागू करने या सामने लाने में असफल रहा है।

इकोनोमिस्ट को दिए एक साक्षात्कार में लेबनान के प्रधानमंत्री नजीब मिकाती (जिन्हें यह चिंता है कि युद्ध फैल सकता है और आर्थिक संकट से जूझ रहा उनका देश भी इसकी चपेट में आ सकता है) ने एक योजना पेश की। वे चाहते हैं कि पश्चिमी और क्षेत्रीय नेता इजराइल और फिलिस्तीन के लिए द्वि-राष्ट्र समाधान ढूंढने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय शांति सम्मेलन आयोजित करें।‘‘हम इजराइल के हक को मानेंगे और फिलिस्तीनियों के हक को भी,” उन्होंने कहा।‘‘यह पूरे क्षेत्र में शांति स्थापित करने का समय है।”वे इस प्रक्रिया में ईरान की भागीदारी भी चाहते हैं।

इस बीच फिलीस्तीनी एथारिटी के प्रधानमंत्री मोहम्मद शतायेह ने गार्जियन से कहा कि वे गाजा का प्रशासन संभालने की जिम्मेदारी तबतक नहीं लेंगे जबतक वेस्ट बैंक का मुद्दा हल नहीं हो जाता। जनता में एथारिटी की राजनीतिक साख पहले से ही गिरी हुई है। बहुत से लोग न केवल उसे भ्रष्ट मानते हैं बल्कि इजराइल का सुरक्षा ठेकेदार भी कहते हैं।

लेकिन, जैसा कि ऊपर कहा गया है, बीबी को गाजा पर बमबारी करने के अलावा कुछ भी मंजूर नहीं है। वे इजराइल की जनता का भरोसा खो चुके हैं और जनता का एक बहुत छोटा सा हिस्सा ही उनपर अब भी भरोसाकरता है। वे अपनी वार केबिनेट को भी ठीक से नहीं चला पा रहे हैं। केबिनेट में आपसी मतभेद हैं जिससे सेना से संबंधित फैसले लेने में दिक्कत हो रही है। इसी की वजह से आईडीएफ के सैनिकों को दो सप्ताह तक गाजा की सीमा के पास रूके रहने के बाद ही वहां प्रवेश करने का आदेश मिल सका। वे द्वि-राष्ट्र समाधान के प्रयासों में भागीदारी के लिए भी भरोसेमंद व्यक्ति नहीं है और अमेरिका को यह बात मालूम है। बीबी के पास भविष्य की कोई योजना नहीं है जिसके जरिए उन्होंने अमेरिका का समर्थन मिलता रहे और वे इजराइल और अरब देशों के कूटनीतिक संबंध स्थापित करने वाले अब्राहम समझौते को कायम रख सकें।

युद्ध उग्र रूप लेता जा रहा है, नेतान्याहू जमे हुए हैं और पश्चिम उनके साथ है। ऐसे में दुनिया का संयम कब तक बना रहता है यह देखने वाली बात होगी। इजराइल गाजा का युद्ध लड़ने की क्षमता रखता है और संभव है कि वह हमास को खत्म करने में भी सफल हो जाए। लेकिन इजराइल के इतिहास के सबसे चुनौतीपूर्ण दौरों में से एक में देश का नेतृत्व करने वाले व्यक्ति के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं है कि कल और फिर परसों क्या होगा। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

Published by श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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