पुतिन की नकल मध्यपूर्व का गहराता संकट

पुतिन की नकल मध्यपूर्व का गहराता संकट

इजराइल-हमास युद्ध का आज 16वां दिन है। गाजा पट्टी मलबे और धुएं से अटी पड़ी है और धरती खून और आंसूओं से भीगी हुई। कुछ राहत सामग्री आनी जरूर शुरू हुई है लेकिन वह ऊँट के मुंह में जीरा है। इस बीच हमास ने 200 में से दो बंधकों को रिहा किया है।विदेशी नेताओं का इजराइल जाना जारी है। जो बाईडन और ऋषि सुनक के बाद जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज इजराइल गए लेकिन तीनों ही वहां युद्धविराम या मानवीयता की खातिर कुछ समय के लिए लड़ाई पर रोक या नागरिकों के लिए एक सुरक्षित क्षेत्र का निर्धारण – इनमें से कुछ भी हासिल नहीं कर सके।

बमबारी लगातार जारी है और दीर्घावधि की कोई योजना सामने नहीं आई है। बीबी (नेतन्याहू) जिद्द पर अड़े हुए हैं और बेरहमी बरतने की कसमें खा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में फ्रांस समेत सभी देशों ने जंग रोकने और उत्तरी गाजा को खाली करने के इजराइल के आदेश को पलटने के बारे में प्रस्ताव के मसविदे का समर्थन किया। लेकिन अमेरिका ने उस पर यह कहते हुए वीटो किया कि इससे इजराइल के हाथ बंध जाएंगे। चौंकाने वाली बात यह रही कि यूके और रूस ने मतदान में भाग नहीं लिया।

इजरायली हमलों को रोकने के लिए हर संभव तरीके अपनाए जा रहे हैं क्योंकि डर है हिजबुल्लाह कहीं लेबनान में दूसरा मोर्चा न खोल दे। यमन की सीमा पर सैन्य टुकड़ियों की आवाजाही बढ़ रही है और अस्थिरता ईराक व सीरिया तक फैल गई है। अमेरिका द्वारा इजराइल को और हथियार दिए जाने के ऐलान से मुस्लिम दुनिया में नाराजगी है।

इसलिए मध्यपूर्व का संकट गहरा रहा है। फिलिस्तीन-समर्थक विरोध प्रदर्शन जोर पकड़ रहे हैं और यहूदी-विरोध भी। इस बीच बाइडन सहित किसी को भी यह मालूम नहीं है कि हमास से निपटने के बाद बीबी की क्या योजना है। इजराइल की युद्ध केबिनेट ने ‘आपरेशन स्वार्ड ऑफ आयरन’ के चार लक्ष्य निर्धारित किए हैं: सैन्य शक्ति के रूप में हमास का खात्मा,  गाजा से आतंकी हमलों के डर की समाप्ति, बंधकों की रिहाई और देश की सीमाओं और नागरिकों की रक्षा। लेकिन अधिकारी यह स्वीकार करते हैं कि कौन-सा लक्ष्य पहले और कौन-सा बाद में हासिल किया जाना है, इस पर विवाद है। उनका कहना है कि गाजा पर दुबारा कब्जा करना का इरादा तो छोड़ दिया गया है लेकिन वहां से सेना की वापसी के बारे में कोई रणनीति नहीं है

सात अक्टूबर को पूरी दुनिया इजराइल के साथ थी। और आज भी आत्मरक्षा के उसके अधिकार का समर्थन करती है। लेकिन अरब देशों का यह तर्क भी ठीक है कि अस्पतालों और रहवासी इलाकों पर बमबारी, आवश्यक सेवाओं पर रोक और जानते-बूझते नागरिकों की जान लेना ठीक नहीं है। संयुक्त राष्ट्रसंघ ने भी युद्धविराम की मांग की है क्योंकि उसके बिना अल-अहली अस्पताल में हुए विस्फोट जैसी त्रासदियों को रोकना असंभव होगा। यह साफ नहीं है कि युद्ध समाप्त होने बाद जो समझौता होगा उसमें पश्चिमी देशों के नेताओं की क्या और कितनी भूमिका होगी। बाइडन और सुनक जिस तरह इजराइल का बिना शर्त समर्थन कर रहे हैं उसके चलते वे तो शांति समझौते में मध्यस्थ की भूमिका के लिए अपात्र हो गए हैं।

उधर अरब लीग, फिलिस्तीनी राष्ट्र के निर्माण पर बातचीत दुबारा शुरू करने की मांग कर रही है। किंतु इजराइल इसे पहले से भी ज्यादा अनसुना कर रहा है। बीबी अपनी स्थिति मजबूत बनाए रखने के प्रयास में जुटे हुए हैं और अपनी सत्ता और पद को बचाए रखने की हरचंद कोशिश कर रहे हैं। मारी समाचारपत्र द्वारा करवाए गए एक जनमत सर्वेक्षण के अनुसार 21 प्रतिशत इजरायली चाहते हैं कि नेतन्याहू युद्ध ख़त्म होने के बाद भी प्रधानमंत्री बने रहें।जबकि करीब 66 प्रतिशत लोगों ने कहा कि किसी अन्य व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनना चाहिए और 13 प्रतिशत अभी कोई राय नहीं बना पाए हैं। करीब 1,300 इजरालियों के कत्ल से उपजे जनाक्रोश में बीबी का स्वयं को चर्चिल के सांचे का रणनीतिकार, जो राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे का पूर्वानुमान लगा लेता है,  दिखाने के प्रयास आग में घी का काम कर रहे हैं। जनता पहले से ही न्यायपालिका को कमज़ोर करने के उनके धार्मिक-राष्ट्रवादी सत्ताधारी गठबंधन के प्रयासों के कारण उनके खिलाफ थी। बीबी को इजराइल के लोग अपने देश के लिए घातक मानते थे और उनकी अलोकप्रियता चरम पर थी। बाईडन भी बीबी को लेकर काफी एहतियात बरत रहे थे और उनसे मिलने या बात करने से बच रहे थे। लेकिन 7 अक्टूबर के बाद बीबी सहानुभूति, करूणा और समर्थन के पात्र बन गए हैं – उस सबके जिसे हासिल करने की उनकी बहुत इच्छा थी। इजराइल से आ रही खबरों के मुताबिक जब बाइडन तेल अवीव में एयरफोर्स वन से उतरे तब उन्होंने नेतन्याहू से हाथ मिलाने का प्रयास किया लेकिन नेतन्याहू ने उन्हें दोनों हाथों से पकड़कर गले लगा लिया।

बीबी पुतिन की नक़ल कर रहे हैं और उनके जैसी युद्ध रणनीति अपना रहे हैं। युद्ध के 14वें दिन उन्होंने आगाह किया कि उनके देश और हमास का युद्ध ‘लंबा चलेगा’ जिससे युद्धविराम और टकराव कम करने संबंधी चर्चाएं ठंडी पड़ गईं। हमास पर इजरायली सुरक्षा बलों के हमले जारी हैं और अब वे वेस्ट बैंक को भी निशाना बना रहे हैं। बीबी सिर्फ इजराइल ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक बोझ बन गए हैं। जहां तक 80 साल के बाइडन का सवाल है, उनके लिए आगे का रास्ता और कठिन हो गया है। पुतिन और शी जिनपिंग उनके लिए पहले से ही सिरदर्द थे। और अब बीबी नाम का माईग्रेन उनके लिए और बड़ी मुसीबत बन गया है। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

Published by श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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