पश्चिम एशिया में बेतुकी जिद्द, बेतुका प्रतिशोध!

पश्चिम एशिया में बेतुकी जिद्द, बेतुका प्रतिशोध!

Israel Hezbollah War: रविवार तड़के इजराइल ने लेबनान पर हवाई हमले किए। फिर उन्हें हिज्बुल्लाह की एक बड़े हमले की तैयारी के मद्देनजर किया गया आक्रमण बताया। जवाब में प्रतिशोधी कार्यवाही करते हुए हिज्बुल्ल्लाह ने भी ड्रोनों और राकेटों के जरिए उत्तरी इजराइल पर हमले किए। लेकिन शुरूआती हमलों के बाद दोनों पक्षों ने हमले रोक दिए। और संयम बरतने की बातें शुरू हुई। (Israel Hezbollah War)

हिज्बुल्लाह ने घोषणा की है कि उसके वरिष्ठ कमांडर फुआद शुकर की हत्या का इंतकाम लेने के लिए किए जाने वाले हमलों का “प्रथम चरण” समाप्त हुआ। फिलहाल और हमले न करने की बात भी कही। उसका दावा है कि इन हमलों में उसे “शत प्रतिशत सफलता” हासिल हुई है। उसने इजराइल के जबाबी हमलों की बारे में तो कुछ नहीं कहा मगर बिना कहे ही यह कह दिया कि बदले की कार्यवाही जारी रहेगी। इस बीच इजराइल के रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने कहा कि उन्होंने अमरीकी रक्षा मंत्री लॉयड जे. ऑस्टिन से बातचीत की और दोनों “युद्ध के पूरे क्षेत्र में फैलने को रोकने के महत्व” पर चर्चा की।

लड़ाई और हमले का यह लॉजिक…

लेकिन पूरे क्षेत्र में युद्ध के फैलने की पीड़ा और अनिश्चितता 7 अक्टूबर से ही कायम है। और लड़ाई और हमले का यह सिलसिला किस लॉजिक से है? इस तरह की  हमें तो हमला इसलिए करना पड़ा क्योंकि उसने हम पर हमला कर दिया था। यह तो बचाव की कार्यवाही थी। दोनों पक्ष यही कहते हैं। फिर, एक कदम आगे बढ़ कर, कहा जाता है कि हमनें तो हमला इसलिए किया ताकि हम उन्हें हमला करने से रोक सकें। यह तो प्री-एम्पटिव स्ट्राइक थी। दोनों पक्ष  यही कहते हैं। और अंततः युद्ध शुरू हो जाता है, जो अनवरत चल रहा है। किसी को भी उसके खात्मे की उम्मीद नहीं दिख रही।  और यह तब जब कि इनमें से एक भी हमले की कोई ज़रुरत सचमुच नहीं थी!

पश्चिम एशिया लगातार युद्ध के कगार पर है। इस क्षेत्र की विभिन्न ताकतों और देशों के बीच छोटे-छोटे युद्ध समय-समय पर भड़क रहे हैं। और ईरान व उसके द्वारा समर्थित संगठनों और इजराइल एवं उसके साथियों के बीच एक बड़े युद्ध का खतरा मंडरा रहा है। इसकी एक झलक अप्रैल में देखी गई जब तेहरान ने मिसाइलों और ड्रोनों के जरिए इजराइल पर एक अभूतपूर्व हमला किया, जिनमें से अधिकांश को निशाने पर पहुंचने के पहले ही गिरा दिया गया।(Israel Hezbollah War)

हिजबुल्लाह का हमला अवश्यंभावी था

हिजबुल्लाह का हमला अवश्यंभावी था, जो गत माह बेरूत में हिज्बुल्लाह के एक वरिष्ठ कमांडर की इजराइल द्वारा की गई हत्या के प्रतिशोध स्वरूप किया गया। यह हमला उस समय किया गया जब अमेरिका, इजराइल और हमास के बीच युद्धविराम के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा था। हाल के दिनों में गाजा पर हुए इजरायली हवाई हमले, जो अभी भी जारी हैं, में दर्जनों और लोग मारे गए हैं। 7 अक्टूबर को हुए हमास के हमले में 1,200 से ज्यादा इजरायलियों के मारे जाने के बाद से लेकर अब तक 40,000 से अधिक फिलिस्तीनी अपनी जान गंवा चुके हैं। मृतकों में से अधिकांश नागरिक थे, सैनिक नहीं।

इजरायली नियंत्रण वाले इलाकों में बसे हुए यहूदियों द्वारा की जा रही हिंसा और जबरन जमीन पर कब्जा करने की घटनाओं में भी बढ़ोत्तरी हुई है। ऐसा माना जा रहा है कि सीमा पर हिज्बुल्लाह से टकराव को तीव्र करने के इस अवसर का नेतन्याहू ने पूरा फायदा उठाया। नेतन्याहू के विरोधी और आलोचक उन पर अपने राजनैतिक लाभ के लिए गाजा को लेकर किसी भी समझौते की राह में बाधाएं खड़ी करने, “पूर्ण विजय” का अव्यवहारिक लक्ष्य निर्धारित करने और जानबूझकर संघर्ष के भौगोलिक क्षेत्र में विस्तार करने का प्रयास करने का आरोप लगा रहे हैं।

युद्ध विराम की संभावना बहुत कम

यदि युद्ध विराम के प्रयास सफल हो जाते हैं (जिसकी संभावना बहुत कम है) तो जो सवाल उभरता है वह यह है कि क्या इससे ईरान और उसके द्वारा समर्थित संगठनों तथा इजराइल के बीच बड़े टकराव का खतरा कम होगा? क्या इजराइल को उसके द्वारा गाजा में किए गए अत्याचारों के लिए क्षमा कर दिया जाएगा? क्या अरब राष्ट्र इजराइल और अमरीका के निकट सहयोगी बनकर ईरान को घेरने का प्रयास करेंगे? और एक सवाल यह भी है कि व्हाईट हाउस में रहने वाला अगला व्यक्ति कौन होगा? (Israel Hezbollah War)

इन सब मामलों में अनिश्चितता के चलते इजराइल को युद्धविराम के लिए पूरी संजीदगी से प्रयास करना चाहिए। क्योंकि यदि ऐसा नहीं हुआ तो ये छोटी-छोटी लड़ाईयां और झड़पें क्षण भर में बड़े युद्ध में तब्दील हो सकती हैं जिसकी बड़ी कीमत सभी पक्षों को चुकानी पड़ सकती है। हम जल्द ही इजराइल के गाजा पर ताबड़तोड़ हमले की बरसी मनाने वाले हैं। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

Published by श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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