इजराइल के जेनिन में सैनिक आपरेशन

इजराइल के जेनिन में सैनिक आपरेशन

इजराइली सुरक्षा बलों ने वेस्ट बैंक के जेनिन शहर में रीफ़्यूजी-कैंप पर अब तक के सबसे बड़े हमलों में से एक किया है। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक हमले में आठ फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, दर्जनों घायल हैं और हजारों लोग शिविर छोड़कर जा रहे हैं। यह सन् 2002 के बाद से इजराइल की सेना का वेस्ट बैंक के किसी फिलीस्तिनी शहर पर सबसे बड़ा हमला है। जेनिन के घुटन-भरे और झुग्गी-नुमा शरणार्थी शिविर में सोमवार सुबह से भीषण लड़ाई तब शुरू हुई जब इजराइली सुरक्षा बलों (आईडीएफ) ने आपरेशन होम एंड गार्डन प्रारंभ किया। इस ताजा अभियान का मकसद है उग्रवादियों का सफाया और हथियारों व गोलाबारूद के वर्कशॉपों को नष्ट करना। स्थानीय मीडिया के मुताबिक इजरायली अधिकारियों ने कहा है कि यह अभियान 48 घंटे से भी कम समय में पूरा हो जाएगा।

जेनिन शरणार्थी शिविर फिलिस्तीन के सबसे पुराने शिविरों में से एक है। आधे वर्ग किलोमीटर से भी कम जगह के इस शिविर में करीब 18,000 लोग रहते हैं। यहां वे फिलिस्तीनी बसे हुए हैं जिन्हें इजराइल के अस्तित्व में आने के बाद देश से निकाल दिया गया था। यह फिलिस्तीन की धरती पर पिछले 55 साल से जारी इजरायली कब्जे की खिलाफत का केन्द्र रहा है। यह इलाका गरीबी, अपराध और बेरोजगारी सहित कई समस्याओं से जूझ रहा है और और यहां की संकरी गलियों में इजरायली सेना और फिलीस्तिनी उग्रवादियों के बीच गोलबारी की घटनाएं आम हैं।

जेनिन न केवल इजरायल की सेना के वेस्ट बैंक पर कब्जे के खिलाफ सन् 1967 से जारी फिलिस्तीनी प्रतिरोध के लिए जाना जाता है बल्कि यह फिलिस्तीन के 87 वर्षीय राष्ट्रपति महमूद अब्बास के भ्रष्ट एवं जिद्दी शासन के नतीजों का नमूना भी है। महमूद को इजराइल के प्यादे के रूप में देखा जाता है। इस बात की बहुत कम सम्भावना है कि निकट भविष्य में फिलिस्तीन के सुरक्षा बल जेनिन पर फिर से अपना वर्चस्व स्थापित कर पाएंगे।

पिछले दो सालों में जेनिन में हिंसा में जबरदस्त बढ़ोत्तरी हुई है। यह इजराइल और फिलिस्तीन दोनों के सुरक्षा बालों के लिए समस्या बन गया है। रमल्ला स्थित फिलिस्तीन सुरक्षा बलों की जगह यहाँ जेनिन ब्रिगेड्स नाम के एक हथियारबंद समूह का बोलबाला है। ब्रिगेड्स में अलग-अलग फिलिस्तीनी गुटों से जुड़े युवक तो हैं ही, ऐसे भी हैं जो किसी गुट से जुड़े हुए नहीं हैं। आईडीएफ के अनुसार, पिछले दो सालों में इजराइली नागरिकों पर गोली चलाने की 50 घटनाओं में जेनिन के रहवासी शामिल थे और कम से कम 19 संदेही वहां पनाह लिए हुए हैं।

सन 2022 के वसंत में जेनिन में रह रहे उग्रवादियों ने कई आतंकी हमले अंजाम दिए थे जिनमें से एक में तेल अवीव को निशाना बनाया गया था। तेल अवीव के एक ऐसे इलाके, जो अपनी नाईट लाइफ के लिए जाना जाता है, में हुई गोलीबारी में तीन इजराइली मारे गए थे। इससे इजराइल सकते में आ गया। तभी से जेनिन उसके निशाने पर है। इजराइली सुरक्षा बल तब से ही जेनिन में समय-समय पर छापे मार कर ब्रिगेड्स के प्रमुख सदस्यों का सफाया करने या उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश करते रहा हैं। परन्तु जैसा कि इजराइल के एक बड़े अफसर ने हाल में कहा, “उनका पूरी तरह सफाया करना इसलिए मुश्किल है क्योंकि वे किसी स्थापित नेटवर्क या संगठन के सदस्य नहीं हैं।” सन 2023 में अब तक यहाँ 133 फिलिस्तीनी और 24 इजराइली मारे जा चुके हैं। सन 2005 के बाद से वेस्ट बैंक और इजराइल में इस पैमाने पर खून-खराबा पहली बार हो रहा है।

सेना पर हिंसात्मक तरीके अपनाने का दबाव है। यह दबाव वेस्ट बैंक में रहने वाले यहूदियों और प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की दक्षिणपंथी कैबिनेट में उनके प्रभावशाली आकाओं की ओर से डाला जा रहा है। जून की 20 तारीख को वेस्ट बैंक में एक और जगह पर चार यहूदियों को गोलियों से छलनी कर दिया गया था। हमलावर जेनिन से नहीं थे परन्तु नेशनल सिक्यूरिटी मंत्री इतेमार बेन गुवयर ने मांग की कि “सेना को वहां इमारतों को ज़मींदोज़ कर देना चाहिए और आतंकियों का सफाया कर देना चाहिए – एक या दो नहीं बल्कि सैकड़ों या अगर ज़रूरी हो तो हजारों का।” इजराइल की सेना ने सन 2000 के दशक में भी जेनिन में ऐसा ही एक अभियान चलाया था जिसमें बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे और भारी बर्बादी हुई थी। पर इस बार सेना वहां से जल्दी से जल्दी रवानगी चाहती हैं क्योंकि उनके पास बेहतर इंटेलिजेंस है और वह हवा से निगरानी करने में सक्षम है। शायद इसलिए इस बार उतने बड़े बड़े पैमाने पर तबाही और बर्बादी नहीं होगी।

अब तक वेस्ट बैंक में हिंसा केवल जेनिन तक सीमित है और खूनखराबा, जंग में तब्दील नहीं हुआ है। परन्तु फिलिस्तीनियों का मानना है कि नेतन्याहू की अति-दक्षिणपंथी सरकार के आदेश पर इजराइल की सेना जेनिन में लड़ाकू हेलीकाप्टरों और ड्रोनों सहित घातक हथियारों का इस्तेमाल कर रही है। और जेनिन में बेचैनी, गुस्सा और असंतोष बढ़ता जा रहा है। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

Published by श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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