भारतीय जनता पार्टी के आधिकारिक एक्स हैंडल से पिछले दिनों कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की कमाई का मुद्दा उठाया गया था। उसी समय इस एक्स हैंडल पर अभिषेक सिंघवी की कमाई का मुद्दा उठा और इसके तुरंत बाद सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई में कपिल सिब्बल और अन्य वकीलों की कमाई का मुद्दा उठा। यह समझ में नहीं आने वाली बात है कि वकीलों की कमाई का मुद्दा उठाने से क्या हासिल हो रहा है? भाजपा के एक्स हैंडल से कहा गया कि 2006 में अभिषेक सिंघवी की कमाई 77.64 करोड़ थी, जो 2024 में 1,921 करोड़ रुपए हो गई। इसके बाद कहा गया था कि वे उनके वित्तीय सलाहकार बनेंगे। भाजपा को इसका जवाब देते हुए सिंघवी ने कहा कि अगर व्यक्तिगत तौर पर वे 10 साल में 714 करोड़ रुपए का कर जमा करने को तैयार हो तो वे वित्तीय सलाहकार बनने को तैयार हैं।
सोचें, भाजपा ने जिस अवधि में सिंघवी की कमाई बढ़ने का दावा किया है उस अवधि में उन्होंने व्यक्तिगत रूप से 714 करोड़ रुपए का टैक्स जमा किया है। बहरहाल, इसी तरह कोलकाता के आरजी कर अस्पताल की घटना की सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश हुए वकीलों को लेकर एक अभियान चला। सिब्बल ने अदालत में इसका जिक्र करते हुए कहा कि बंगाल सरकार का मुकदमा लड़ रहे वकीलों के लिए कहा जा रहा है कि उनमें से कुछ के खाते स्विस बैंक में हैं। इस पर कोई गंभीर बात होती उससे पहले सॉलिसीटर जनरल ने इसे खत्म करते हुए कहा कि सिब्बल के पुराने क्लायंट ही यह बात कहते थे। उनका इशारा आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल की ओर था।