भारतीय जनता पार्टी राज्यों में किश्तों में बदलाव कर रही है। पहले राजस्थान और बिहार के प्रदेश अध्यक्ष बदले गए। उसके करीब दो महीने बाद चार जुलाई को झारखंड, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और पंजाब में नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया। तब से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि बाकी राज्यों का क्या हुआ? भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को कई और राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष बदलने थे। कई राज्यों में अध्यक्षों का कार्यकाल पूरा हो गया है और कई राज्यों में चुनावों को देखते हुए ज्यादा अनुभवी और सक्षम अध्यक्ष की नियुक्ति की सहमति पार्टी के शीर्ष नेताओं के बीच पिछले महीने हुई बैठक में बनी थी।
भाजपा के जानकार सूत्रों का कहना है कि मध्य प्रदेश में भी प्रदेश अध्यक्ष बदलना था, जहां इस साल के अंत में चुनाव होना है। पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं के नाम की चर्चा थी। दोनों केंद्र सरकार में मंत्री हैं। बताया जा रहा है कि वीडी शर्मा की जगह नरेंद्र सिंह तोमर या प्रहलाद पटेल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि मध्य प्रदेश में कोई बदलाव नहीं होगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने दौरे में यह साफ कर दिया। चुनाव तक वे हर दूसरे हफ्ते मध्य प्रदेश का दौरा करेंगे और मौजूदा नेतृत्व में ही पार्टी चुनाव लड़ेगी। राज्य के चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव ने चुनाव के लिहाज से अपनी टीम बनी ली है। नौ सदस्यों की इस टीम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के साथ साथ नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरोत्तम मिश्रा, कैलाश विजयवर्गीय आदि नेताओं को रखा गया है। साल के अंत में होने वाले चुनाव तक सारे फैसले यह कमेटी करेगी।
बहरहाल, मध्य प्रदेश के अलावा कर्नाटक, गुजरात, केरल, हरियाणा और जम्मू कश्मीर में भी नए अध्यक्ष की नियुक्ति होने वाली है। भाजपा के जानकार सूत्रों का कहना है कि इन राज्यों में अगले साल के लोकसभा चुनाव के लिहाज से नए अध्यक्ष बनाने हैं। लेकिन ऐसा लग रहा है कि राज्यों में नेताओं की आपसी खींचतान में फैसला नहीं हो पा रहा है। भाजपा के एक जानकार नेता का कहना है कि अगले साल के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती अंदरूनी विवाद को सुलझाने की है।
मिसाल के तौर पर कर्नाटक के प्रदेश अध्यक्ष नलिन कुमार कतिल का एक साल का विस्तारित कार्यकाल भी अगले भी पूरा हो रहा है। लेकिन प्रदेश के सबसे कद्दावर नेता बीएस येदियुरप्पा और पार्टी के संगठन महासचिव बीएल संतोष के बीच तनातनी की वजह से फैसला नहीं हो पा रहा है। गुजरात का फैसला संभवतः इस वजह से रूका है कि केंद्र में संगठन और सरकार में बदलाव का फैसला नहीं हो पा रहा है। प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल को केंद्र में बड़ी भूमिका देने की चर्चा है। बताया जा रहा है कि हरियाणा में भाजपा नेतृत्व इस उधेड़बुन में है कि ब्राह्मण अध्यक्ष बनाया जाए या गूजर। बताया जा रहा है कि हर राज्य में दो दो नाम तय हुए हैं, जिनमें से किसी एक को जिम्मा मिल सकता है।