प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री और महान किसान नेता चौधरी चरण सिंह की जयंती के मौके पर उन्हें याद करते हुए ट्विट किया तो कई लोगों ने ध्यान दिलाया कि प्रधानमंत्री ने मई में चौधरी साहेब की पुण्यतिथि पर उनको श्रदधांजलि नहीं दी थी। यह अपनी सुविधा के हिसाब से नेताओं को याद करने या भूल जाने का मामला है। लेकिन जाट को लेकर चल रहे विवाद के बीच चौधरी चऱण सिंह की जयंती आई है और तभी सभी पार्टियों ने बढ़ चढ़ कर इसमें हिस्सा लिया। सबने अलग अलग तरीके से उनकी जयंती मनाई। गौरतलब है कि पिछले दिनों उप राष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने अपनी मिमिक्री किए जाने को जाट समाज के अपमान से जोड़ा और भाजपा ने पूरे देश में इसका मुद्दा बनाया।
उसके बाद ओलंपिक पदक जीतने वाली साक्षी मलिक ने महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोपी भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह का विरोध करते हुए कुश्ती छोड़ने का ऐलान किया तो यह चर्चा शुरू हुई कि क्या इससे जाट समाज और स्त्री जाति का अपमान नहीं हो रहा है? साक्षी मलिक के साथ बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट भी मौजूद थे। अब भाजपा विरोधी पार्टियां इस बहाने जाट समाज के अपमान का मुद्दा बना रही हैं। इस विवाद के बीच ही चौधरी चरण सिंह की जयंती मनाई गई। सभी पार्टियों ने इस मौके का इस्तेमाल किया जाटों के साथ साथ व्यापक किसान समाज तक पहुंच बनाने के लिए इस मौके का इस्तेमाल किया है।