लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बहुत दयानतदारी दिखाई थी और उद्धव ठाकरे को 21 सीटें दी थीं। कांग्रेस खुद 17 सीटों पर लड़ी थी, जिसमें से 13 पर जीती, जबकि उद्धव की पार्टी 21 सीट पर लड़ कर सिर्फ नौ सीट जीत पाई। दूसरी ओर उनसे अलग हुई शिव सेना यानी एकनाथ शिंदे गुट ने सिर्फ 15 सीटें पर चुनाव लड़ा था और नौ सीट जीती थी। तभी प्रकाश अंबेडकर ने पिछले दिनों कहा कि सचमुच असली शिव सेना शिंदे की ही है क्योंकि उनको शिव सैनिकों ने वोट दिया और इसलिए उनका जीत का प्रतिशत उद्धव के मुकाबले बहुत अच्छा रहा। बहरहाल, विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कोई दयानतदारी नहीं दिखाने वाली है। कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वह ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। राज्य की 288 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 120 सीटों पर चुनाव लड़ने की दावेदारी की है।
दूसरी ओर उद्धव ठाकरे लोकसभा की तरह विधानसभा मे भी ज्यादा सीट लड़ना चाह रहे हैं। ताकि मुख्यमंत्री पद की उनकी दावेदारी पुख्ता हो। कांग्रेस चाहती है कि वह 120 सीट पर लड़े और बची हुई 168 सीटों में से 90 से एक सौ सीट पर उद्धव ठाकरे चुनाव लड़ें। ऐसा होता है तो शरद पवार की एनसीपी के लिए 70 से 80 सीटों बचेंगी। लोकसभा में पवार की पार्टी 10 सीटों पर लड़ी थी और आठ पर जीती। इस लिहाज से कांग्रेस और एनसीपी का स्ट्राइक रेट सबसे बेहतर है और इसी आधार पर शरद पवार की पार्टी ज्यादा सीट पर लड़ना चाहती है। अगर कांग्रेस ज्यादा सीट पर लड़ती है तो उद्धव को सीएम प्रोजेक्ट करना संभव नहीं होगा। कांग्रेस के नेता यह भी चाहते हैं कि बिना सीएम का चेहरा प्रोजेक्ट किए ही चुनाव लड़ा जाए। अगले कुछ दिन में इस पर महा विकास अघाड़ी के भीतर खींचतान संभव है।