पूर्वोत्तर से कांग्रेस साफ हो गई है लेकिन साथ ही समूचा पूर्वोत्तर कांग्रेस के रंग में भी रंगता जा रहा है। एक एक करके सभी राज्यों में कांग्रेस पार्टी के पूर्व नेता मुख्यमंत्री बनते जा रहे हैं। सबसे ताजा नाम लालदुहोमा का है। वे मिजोरम के मुख्यमंत्री बनने वाले हैं। उनकी पार्टी जोरम पीपुल्स मूवमेंट ने राज्य की 40 में से 27 सीटें जीत कर दो-तिहाई बहुमत हासिल किया है। वे पहले कांग्रेस पार्टी में थी। आईपीएस रहे लालदुहोमा पहले इंदिरा गांधी की सुरक्षा के प्रमुख थे। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में उन्होंने पुलिस की नौकरी छोड़ दी और कांग्रेस की टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़े। पहली बार में सांसद बन गए हालांकि चार साल के बाद ही उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और उसके बाद स्वतंत्र रूप से राजनीति करते रहे। 2019 में उन्होंने अपनी पार्टी बनाई और अब मुख्यमंत्री बन रहे हैं।
उनसे पहले त्रिपुरा में मानिक साहा मुख्यमंत्री बने, जो पहले कांग्रेस में थे। वे 2015 में कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में गए थे। भाजपा में आठ साल के अंदर वे प्रदेश अध्यक्ष बने, राज्यसभा सांसद बने और मुख्यमंत्री बन गए। मानिक साहा को इस साल के विधानसभा चुनाव से पहले बिप्लब देब को हटा कर सीएम बनाया गया था और फिर चुनाव जीतने के बाद वे दोबारा सीएम बने। पूर्वोत्तर के सबसे बड़े राज्य असम में भी कांग्रेस पार्टी से भाजपा में गए हिमंत बिस्वा सरमा मुख्यमंत्री हैं। वे भी 2016 के विधानसभा चुनाव से कुछ पहले ही कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में गए थे। इसी तरह अरुणाचल प्रदेश में पेमा खांडू भाजपा के मुख्यमंत्री हैं, जो पहले कांग्रेस के मुख्यमंत्री थे। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह भी कांग्रेस में थे और कई सरकारों में मंत्री रहे। उन्होंने 2016 में कांग्रेस छोड़ी थी। नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो भी कांग्रेस के नेता थे और एससी जमीर की सरकार में मंत्री रहे थे। उन्होंने कोई दो दशक पहले कांग्रेस छोड़ी थी। अब समूचे पूर्वोत्तर में सिक्किम एकमात्र राज्य है, जहां के मुख्यमंत्री पहले कांग्रेस में नहीं रहे हैं।