विचारधारा से ज्यादा नेताओं की निजी लड़ाई

विचारधारा से ज्यादा नेताओं की निजी लड़ाई

ऐसा लग रहा है कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के नेता एक विचारधारा को लेकर भाजपा के खिलाफ लड़ने की बजाय कई जगह निजी लड़ाई लड़ रहे हैं। पश्चिम बंगाल और बिहार दोनों जगह इस तरह की बातें देखने को मिली हैं। कुछ और राज्यों में इंडिया ब्लॉक की पार्टियों के नेताओं का सरोकार किसी खास नेता के हराने या जिताने में दिख रहा है। ताजा मामला पश्चिम बंगाल के प्रदेश अध्यक्ष और लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी का है। उनका एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वे अपने समर्थकों से तृणमूल कांग्रेस को हराने की बात कर रहे हैं। ममता बनर्जी की पार्टी को हराने की बात ठीक है लेकिन इसी क्रम में वे यह भी कहते सुनाई दे रहे हैं कि वोट चाहे भाजपा को दे दो लेकिन तृणमूल को नहीं देना है।

सोचें, अधीर रंजन चौधरी जैसे कद का नेता अगर ममता बनर्जी को हराने के लिए भाजपा को जिताने को तैयर हो तो दूसरे नेताओं को क्या कहा जा सकता है। इस तरह की घटना दूसरे चरण के मतदान से पहले बिहार में भी देखने को मिली थी। बिहार में तो वीडियो या ऑडियो लीक नहीं हुआ था, बल्कि राजद के नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सीधे तौर पर मतदाताओं से कहा था कि अगर वे इंडिया ब्लॉक को वोट नहीं करते हैं तो एनडीए को कर दें लेकिन निर्दलीय पप्पू यादव को वोट न करें। उनको भाजपा के जीतने से ज्यादा फिक्र इस बात की थी कि कहीं पप्पू यादव चुनाव न जीत जाएं। उन्होंने पहले पप्पू यादव को इंडिया ब्लॉक से टिकट नहीं मिलने दी और उसके बाद उनको हराने के लिए जी तोड़ मेहनत भी की।

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