एनसीपी के नेता और महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार को लेकर महाराष्ट्र की महायुति यानी भाजपा, शिव सेना और एनसीपी गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की पार्टी शिव सेना के नेता खुलेआम अजित पवार पर हमले कर रहे हैं तो भारतीय जनता पार्टी के नेता भी खुलेआम कह रहे हैं कि उनको गठबंधन से बाहर हो जाना चाहिए। ऐसे माहौल में भी अजित पवार हिम्मत नहीं छोड़ रहे हैं। उनको पता है कि गठबंधन में कोई उनको पसंद नहीं कर रहा है फिर भी वे कम सीटें लेने या किसी दूसरे मसले पर समझौता करने के मूड नहीं दिख रहे हैं। उनकी बात कोई नहीं सुन रहा है पर वे पीछे हटने की बजाय भाजपा और शिव सेना पर दबाव बढ़ाने की राजनीति कर रहे हैं।
उनकी पार्टी ने फिर से यह दावा किया है कि एनसीपी विधानसभा की 60 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। दूसरी ओर कहा जा रहा है कि अगर वे किसी तरह से गठबंधन में रह भी जाते हैं तो इससे आधी यानी 30 से ज्यादा सीट नहीं मिलेगी। इसी तरह अजित पवार ने कहा है कि मुख्यमंत्री पद का फैसला बाद में होगा। यानी वे चाहते हैं कि महायुति की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करके चुनाव नहीं लड़ा जाए। कहीं न कहीं भाजपा में भी यह सोच है लेकिन इससे एकनाथ शिंदे के लिए मुश्किल होगी। अगर उनका चेहरा घोषित नहीं होता है और दूसरी ओर उद्धव ठाकरे दावेदार बन जाते हैं तो शिव सैनिक पूरी तरह से शिंदे का साथ छोड़ देंगे। सो, अजित पवार की बात से भाजपा और शिव सेना दोनों में नाराजगी बढ़ने वाली है। गठबंधन में सीट बंटवारे पर एक दौर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन उसमें कोई फैसला नहीं हुआ। आगे के दौर में विवाद और बढ़ेगा।