यह बहुत हैरान करने वाली बात है कि खनिजों पर राज्यों को रॉयल्टी देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार फिर से सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। सोचें, यह कितनी हैरान करने वाली बात है कि चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी इसके बारे में सुन कर हैरान रह गए।
जब उनको अदालत में जाने माने वकील अभिषेक सिंघवी ने बताया है कि केंद्र सरकार ने इस मामले में समीक्षा याचिका दायर की है तो चीफ जस्टिस ने हैरान होते हुए कहा कि ‘नौ जजों की बेंच के फैसले की समीक्षा’! सुप्रीम कोर्ट के नौ जजों की संविधान पीठ ने फैसला किया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम खनिजों को रॉयल्टी का पैसा राज्यों को देना होगा, यह राज्यों का हक है।
अगर यह फैसला लागू होता है तो खनिज संपदा के संपन्न लेकिन आर्थिक व सामाजिक रूप से पिछड़े राज्यों जैसे ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड आदि को एकमुश्त बड़ी धनराशि मिल जाएगी। अगर ब्याज नहीं जोड़ें तब भी राज्यों का रॉयल्टी का बकाया करीब 70 हजार करोड़ रुपए होगा। अगर 2005 से अभी तक का बकाया जोड़ें तो यह रकम डेढ़ लाख करोड़ रुपए तक पहुंच जाती है।
ब्याज के साथ यह कितनी रकम होगी उसका अंदाजा नहीं लगाया गया है। केंद्र सरकार, कई राज्य सरकारें और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम यह रकम राज्यों को देना नहीं चाहते हैं। तभी केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है और साथ ही मध्य प्रदेश सरकार ने भी याचिका लगाई है।