बिहार में भारतीय जनता पार्टी अपने सहयोगी नीतीश कुमार की सारी बातें मान रही है। नीतीश के हिसाब से भाजपा की राजनीति चल रही है। लेकिन क्या झारखंड में भी भाजपा उनकी बात मानेगी? गौरतलब है कि एक समय झारखंड में भी नीतीश का अच्छा खासा असर था और 2005 में भाजपा की सरकार नीतीश की पार्टी के छह विधायकों की मदद से बनी थी। लेकिन बाद में जनता दल यू दो सीटों पर आई और फिर साफ हो गई। दो साल पहले नीतीश कुमार ने झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो को राज्यसभा में भेज कर हलचल मचाई थी। तब अशोक चौधरी को प्रभारी बना कर भेजा गया था और ऐसा लग रहा था कि जदयू को गंभीरता से राजनीति करनी है। लेकिन बाद में पार्टी की गतिविधियां धीरे धीरे कम होती गईं।
अब चुनाव से पहले एक बार फिर जनता दल यू के नेता सक्रिय हुए हैं। खीरू महतो पिछले दिनों पटना पहुंचे थे और उन्होंने पार्टी के आला नेताओं के साथ बातचीत में 11 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही। बताया जा रहा है कि जनता दल यू ने भाजपा के सामने 11 सीटों की मांग रखने का फैसला किया है। हालांकि इसकी कोई संभावना नहीं है। जानकार सूत्रों का कहना है कि जदयू की ओर से एक या दो सीट पर जोर दिया जाएगा। एक सीट जमशेदपुर पूर्वी हो सकती है, जहां से सरयू राय जीते हैं। वे जदयू की टिकट से चुनाव लड़ सकते हैं। लेकिन क्या रघुवर दास इसकी सहमति देंगे? यह रघुवर दास की पारंपरिक सीट है और वे चार बार इस सीट से जीते हैं। पिछली बार सीएम रहते वे सरयू राय से चुनाव हार गए थे। अब वे ओडिशा के राज्यपाल हैं लेकिन प्रदेश की राजनीति में पूरा दखल रखते हैं। अगर भाजपा जदयू की अनदेखी करती है तो पार्टी स्वतंत्र रूप से लड़ने का फैसला भी कर सकती है।