प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले कई बरसों से या केंद्र की राजनीति में आने के बाद से ही यह नियम बनाया है कि जिस दिन कहीं भी मतदान होगा उस दिन वे जरूर कोई रैली या सभा करेंगे। आमतौर पर बड़े राज्यों में कई चरण में मतदान होता है तो वे एक चरण के मतदान के दिन दूसरे चरण वाले इलाके में रैली करते हैं। इसका सीधा मकसद मतदान को प्रभावित करना होता है। इसमें कानूनी या तकनीकी रूप से कुछ भी गलत नहीं है लेकिन राजनीतिक नैतिकता के लिहाज से इसे ठीक नहीं कह सकते हैं। आखिरी इसी वजह से तो 48 घंटे पहले प्रचार बंद किया जाता है कि कोई नेता अंतिम समय में अपने भाषण या किसी राजनीतिक गतिविधि से मतदाताओं को प्रभावित न कर सके।
बहरहाल, जहां एक चरण में ही मतदान होता है उसमें भी प्रधानमंत्री कोई न कोई तरीका जरूर निकाल लेते हैं सभा या रैली करने का। जैसे कर्नाटक में एक चरण में 10 मई को मतदान है, जिसके लिए आठ मई को प्रचार बंद हो गया। प्रधानमंत्री मोदी 10 मई को राजस्थान के सिरोही में एक सभा को संबोधित करने वाले हैं। उधर कर्नाटक में मतदान शुरू होगी और इधर प्रधानमंत्री राजस्थान पहुंचेंगे। उनका पहले हिंदू आस्था के एक बड़े केंद्र श्रीनाथजी के मंदिर में जाने का कार्यक्रम है। वहां वे पूजा अर्चना करेंगे और उसके बाद एक जनसभा को संबोधित करेंगे। कहने की जरूरत नहीं है कि उनके मंदिर जाने और फिर सभा को संबोधित करने के कार्यक्रम का लगभग सारे चैनल लाइव प्रसारण करेंगे। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए तो उनकी बात भाजपा खुद ही ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाती है। जाहिर है रैली में निशाना कांग्रेस पार्टी और नेहरू गांधी परिवार होगा।