कांग्रेस नेता राहुल गांधी ब्रिटेन के बाद अब अमेरिका जाने की तैयारी कर रहे हैं। वे 31 मई से 10 दिन के लिए अमेरिका के दौरे पर जा रहे हैं। वे जून के दूसरे हफ्ते में अमेरिका से लौटेंगे और तीसरे हफ्ते में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका जाएंगे। वे राष्ट्रपति जो बाइडेन के निमंत्रण पर जा रहे हैं, जहां बाइडेन के साथ उनकी दोपक्षीय वार्ता होगी और व्हाइट हाउस में उनके लिए भोज का आयोजन होगा। राहुल गांधी का कार्यक्रम निजी है और वे वाशिंगटन से लेकर कैलिफोर्निया और न्यूयार्क तीन बड़े शहरों में जाएंगे। अपनी लंदन यात्रा के दौरान राहुल ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में भाषण दिया था, जिसे लेकर उनके खिलाफ लोकसभा में विशेषाधिकार का नोटिस दिया गया था। अमेरिका में वे प्रतिष्ठित स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में भाषण देंगे।
बहरहाल, उनकी अमेरिका यात्रा का सबसे दिलचस्प कार्यक्रम यह है कि वे न्यूयॉर्क के मेडिसन स्क्वायर गार्डेन यानी एमएसजी में पांच हजार प्रवासी भारतीयों की एक सभा को संबोधित करेंगे। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी जब पहली बार अमेरिका के दौरे पर गए थे तो उन्होंने मेडिसन स्क्वायर गार्डेन में प्रवासी भारतीयों को संबोधित किया था। उस कार्यक्रम की बहुत चर्चा हुई थी। ध्यान रहे अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों में प्रवासी भारतीय आमतौर पर नरेंद्र मोदी और भाजपा के समर्थक हैं। भाजपा और संघ का उनके बीच अच्छा असर है। लेकिन अगर कांग्रेस के नेता इस भरोसे में हैं कि उनकी ओवरसीज ईकाई के नेता और खास कर सैम पित्रोदा पांच हजार प्रवासी भारतीयों को जुटा लेंगे, जो राहुल के भाषण के बीच ‘मोदी-मोदी’ के नारे नहीं लगाएं तो यह बड़ी बात होगी। अगर पांच हजार प्रवासी भारतीय अमेरिका में राहुल को सुनने जुटते हैं तो भारत की घरेलू राजनीति पर भी इसका असर दिखेगा। अगर प्रवासी भारतीयों की सोच बदलनी शुरू होती है तो उसका असर भी होगा।