नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए लागू करने के लिए केंद्र सरकार सही समय का इंतजार कर रही है। वह सही समय क्या है? क्या लोकसभा चुनाव के ठीक पहले इसे लागू किया जाएगा? यह सवाल इसलिए है क्योंकि कानून पास होने के तीन साल बाद भी सरकार इसे लागू करने के नियम नहीं बना पाई है। पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसे लागू करने के लिए संसद की स्टैंडिंग कमेटी ऑन सब ऑर्डिनेट लेजिस्लेशन से एक्सटेंशन लिया। यह सातवां एक्सटेंशन है। सोचें, यह कानून 11 दिसंबर 2019 को संसद से पास हुआ था और 12 दिसंबर को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली थी। उसके बाद से ही लगातार सरकार इसके नियम बनाने के लिए एक्सटेंशन ले रही है।
एक तरफ केंद्रीय गृह मंत्रालय इस कानून को लागू करने के नियम नहीं बना रहा है तो दूसरी ओर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दो महीने पहले नवंबर में कहा कि जिन लोगों को लग रहा है कि सीएए नहीं लागू होगा वे गलतफहमी में हैं। शाह ने कहा कि सीएए वास्तविकता है किसी को कंफ्यूजन में रहने की जरूरत नहीं है। सवाल है कि जब यह वास्तविकता है तो फिर लागू क्यों नहीं हो रहा है? पिछले साल मई में अमित शाह ने कहा था कि कोरोना खत्म होते ही इसे लागू कर दिया जाएगा। फिर अगस्त में उन्होंने कहा कि टीकाकरण पूरा होते ही इसे लागू कर दिया जाएगा। ऐसा लग रहा है कि सरकार इसका आकलन कर रही है कि कानून लागू हुआ तो असम में कितना नुकसान होगा और पश्चिम बंगाल में कितना फायदा होगा। अगर नुकसान से ज्यादा फायदा दिखा तो इसे फटाफट लागू कर दिया जाएगा। असल में असम में स्थानीय लोगों खास कर असमी भाषा बोलने वालों ने इसका बड़ा विरोध किया था। उसकी वजह से ही इस पर अमल रूका था।