सच बोलने की चुनौती
अब आवश्यकता देश की बहुसंख्यक जनता की वास्तविक स्थिति पर सार्वजनिक बहस की है, ताकि एक खुशहाल समाज बनाने की तरफ बढ़ा जा सके। वरना, वे हालात और गंभीर होंगे, जिनकी एक झलक चुनाव अभियान...
अब आवश्यकता देश की बहुसंख्यक जनता की वास्तविक स्थिति पर सार्वजनिक बहस की है, ताकि एक खुशहाल समाज बनाने की तरफ बढ़ा जा सके। वरना, वे हालात और गंभीर होंगे, जिनकी एक झलक चुनाव अभियान...
अधिकांश लोगों के लिए उपभोग और आय के अनुपात में अपेक्षित सुधार नहीं हो रहा है। कोरोना काल की तुलना में सिर्फ सबसे ऊपरी दस फीसदी आबादी के मामले में यह अनुपात उल्लेखनीय रूप से...
भारत में घरेलू कर्ज जीडीपी के 40 प्रतिशत से भी ज्यादा हो गया है। यह नया रिकॉर्ड है। साथ ही यह अनुमान लगाया गया है कि आम घरों की बचत का स्तर जीडीपी के पांच...
हिंदुस्तान लीवर से लेकर आईटीसी, मेरिको, बजाज कंज्यूमर केयर और ज्योति लैब्स तक को अगले सितंबर तक बिक्री बढ़ने की संभावना नजर नहीं आ रही है। इस वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के नतीजों ने...
अगर आम जन की वास्तविक आय नहीं बढ़ती है, तो उनका उपभोग घटता है, जिसका असर बाजार में मांग पर पड़ता है और अंततः यह स्थिति कारोबार जगत को प्रभावित करती है। अब ऐसा होने...
ऐसे आंकड़े सामने आए हैं, जो सवाल उठाते हैं कि जिस तीव्रतम गति से आगे बढ़ रही अर्थव्यवस्था का शोर है, उसका संबंध भारतीय आबादी के किस और कितने बड़े हिस्से से है? और जो...
अर्थव्यवस्था की गुलाबी तस्वीर पेश करने की तमाम कोशिशों के बावजूद अखबारी सुर्खियां लगभग रोज ही असल कहानी बता रही हैं। बिगड़ते हालात का कारण हैः अनिश्चित आर्थिक माहौल, ऊंची महंगाई, बढ़ती बेरोजगारी, औसत वेतन...
आखिर ब्रिटेन में सरकारों ने ऐसी क्या नीतियां या रास्ते अपनाए, जिससे वहां हड़तालों का अटूट दौर चलने और अधिक से अधिक लोगों के फूड बैंकों पर निर्भर होने की नौबत आई, यह विचारणीय प्रश्न...
अगर बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं और बीमा कंपनियों को छोड़ दें, तो संगठित क्षेत्र की भी बाकी तमाम कंपनियों का मुनाफा लगातार गिर रहा है। बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं और बीमा कंपनियों ने शेयर मार्केट को चमका...
‘मौजूदा आर्थिक यथार्थ मानव मूल्यों का अपमान है। 25 वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ है, जब चरम गरीबी बढ़ रही है और लगभग एक अरब लोग भुखमरी का शिकार हो रहे हैं।’ नदी में...