अब तो खुला खेल है
प्रसार भारती के ताजा निर्णय से कोई व्यावहारिक फर्क तो शायद ही पड़ेगा, लेकिन इससे यह साफ हुआ है कि देश में अलग-अलग दृष्टियों की उपस्थिति की जरूरत नहीं समझी जा रही है। वैचारिक विभिन्नताओं...
प्रसार भारती के ताजा निर्णय से कोई व्यावहारिक फर्क तो शायद ही पड़ेगा, लेकिन इससे यह साफ हुआ है कि देश में अलग-अलग दृष्टियों की उपस्थिति की जरूरत नहीं समझी जा रही है। वैचारिक विभिन्नताओं...