Indian foreign policy

  • आत्म-निरीक्षण की जरूरत

    पड़ोसी देशों का भारत से रिश्ता वहां के किसी एक राजनीतिक खेमे पर इतना निर्भर क्यों है? इसका आधार पूरे सियासी दायरे में क्यों नहीं है? फिर उन देशों में भारत विरोधी भावनाओं के लिए...

  • कठघरे में है सरकार की विदेश नीति

    यह वक्त गहरे आत्म-निरीक्षण का है। भारत के नीति निर्माताओं को इस बात की समीक्षा अवश्य करनी चाहिए कि वैसे तो पिछले साढ़े तीन दशक में, लेकिन खासकर पिछले नौ वर्षों के दौरान विदेश नीति...

  • भारत का संदेश क्या है?

    भारत सरकार को यह बात अवश्य याद रखनी चाहिए कि उसके सामने असली चुनौती वह रुख और संदेश तय करने की है, जिससे वह भारत को नए उभरते वैश्विक ढांचे में नेतृत्वकारी भूमिका रखने वाले...

  • पुतिन, जिनफिंग से पल्ला छूटा?

    यह हेडिंग कूटनीति के मिजाज में सही नहीं है। एक सियासी शीषर्क है। मगर भारत की विदेश नीति की हाल में जो नई दिशा बनी है वह वैश्विक मायने वाली है। पहले जापान, ऑस्ट्रेलिया में...

  • मोदी हों या राहुल, सबका मक्का अमेरिका-लंदन!

    यह सच्चाई है। तभी आजाद भारत की मनोदशा का यह नंबर एक छल है कि हम रमते हैं पश्चिमी सभ्यता-संस्कृति में लेकिन तराना होता है हिंदी-चीनी भाई-भाई या रूस-भारत भाई-भाई। यों आजाद भारत का पूरा...

  • मोदी और राहुल का फर्क

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब विदेश दौरे पर जाते हैं तो हर देश में सैकड़ों लोगों की भीड़ उनका स्वागत करने के लिए उमड़ती है। सड़कों पर मोदी मोदी के नारे लगते हैं। वे उन देशों...

  • ऑस्ट्रेलिया यात्रा से क्या हासिल?

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर क्यों गए, यह यक्ष प्रश्न है। उनको चार देशों के समूह क्वाड की बैठक में हिस्सा लेने के लिए ऑस्ट्रेलिया जाना था। लेकिन अमेरिकी कर्ज संकट की वजह...

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