journalism

  • भोंपू-पत्रकारिता का अमृत-दशक

    सब-कुछ कुछ मुट्ठियों में जा रहा है और सब ख़ामोश बैठे हैं। चंद कंगूरे सब-कुछ लील रहे हैं और सब चुप्पी साधे हैं। इनेगिने सब-कुछ हड़प रहे हैं और सब मौन धारे हैं। समाचार-कक्ष बारात...