Poverty

  • अर्थव्यवस्था में कुछ बुनियादी गड़बड़ है

    देश की अर्थव्यवस्था में कुछ बुनियादी गड़बड़ी है और इसे समझने के लिए बड़ा अर्थशास्त्री होने की जरुरत नहीं है। सिर्फ हाल की कुछ खबरों को एक साथ रख कर देखा जाए तब भी यह...

  • हाल इतना बदहाल है!

    देश में लगभग 42 फीसदी आबादी इस हाल में नहीं है कि वह तीनों वक्त भोजन कर सके। इन लोगों को सुबह के नाश्ते या दोपहर और रात के भोजन में से किसी एक को...

  • गलत दवा से इलाज

    बेरोजगारी जिस हद तक बढ़ गई है, उसके मद्देनजर समझा जा सकता है कि सरकारों पर इस समस्या को हल करते हुए दिखने का भारी दबाव है। मगर दिखावटी कदमों से इस गंभीर समस्या का...

  • चांद लाने जैसी बात

    चंद्र बाबू नायडू ने नायाब फॉर्मूला दिया है। सीआईआई) के एक समारोह में उन्होंने कहा कि अगर देश के सबसे धनी 10 फीसदी लोग सबसे गरीब 20 फीसदी लोगों को “गोद” ले लें, तो समस्या...

  • महंगाई कम दिखाने का नायाब नया तरीका

    केंद्र सरकार के पास हर कमी को ढक देने का कोई न कोई नुस्खा है। जैसे कोई बड़ी वैश्विक हस्ती आती है तो झुग्गी बस्तियों को दिवार खड़ी करके ढक दिया जाता है। उसी तरह...

  • भारतः अरबपति राज का उदय

    साल 1980 के आसपास विषमता अपने सबसे निचले स्तर पर थी। लेकिन उसके बाद ट्रेंड फिर पलट गया। 2015 के बाद से गैर-बराबरी में पहले से भी ज्यादा तेज गति से बढ़ोतरी हुई है। स्पष्टतः...

  • हममें इंसानियत खत्म होती जा रही!

    घटना कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु की है जहां पर मेट्रो के सुरक्षाकर्मी ने एक बुजुर्ग यात्री को इसलिए ट्रेन में चढ़ने नहीं दिया क्योंकि उस बुजुर्ग किसान के कपड़े गंदे और पुराने दिखाई दे रहे...

  • यह खुशहाली तो नहीं

    साल 2011-12 में सर्वेक्षण के लिए अपनाई गई विधि को 2022-23 के सर्वे में बदल दिया गया। इसलिए ताजा रिपोर्ट के बारे में यह तो कहा जाएगा कि यह आज की हकीकत को बताती है,...

  • चुनावी मकसद से चर्चा?

    बहुआयामी गरीबी सूचकांक को एक पूरक पैमाना ही माना गया है। जबकि कैलोरी उपभोग की क्षमता एवं प्रति दिन खर्च क्षमता दुनिया में व्यापक रूप से मान्य कसौटियां हैं, जिन्हें अब भारत में सिरे से...

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  • भारत की दो हकीकतें

    भोजन और आवास के लिए रोजमर्रा का संघर्ष करने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है, लेकिन सरकार और संस्थाओं में लोगों का यकीन मजबूत होता गया है। गैलप वर्ल्ड की ताजा रिपोर्ट से भारत के...

  • पांच वर्ष में 13.5 करोड़ भारतीय गरीबी मुक्त

    Multidimensional Poverty Index :- भारत में 2015-16 से 2019-21 के बीच 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं। नीति आयोग की सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट...

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  • भारत में 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर

    India reduction in poverty:- भारत में 2005-06 से 2019-2021 के दौरान सिर्फ 15 साल में 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में मंगलवार को यह जानकारी दी गई...

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  • भारतः सब कैसा एक्स्ट्रीम!

    हम 140 करोड़ लोगों का सत्य क्या है, इसे भारत में न जाना जा सकता है और न सत्य स्वीकार्य होगा। उससे सीखने या सुधरने का तो खैर सवाल ही नहीं उठता! इस रविवार ‘नया...

  • कार्यबल में घटती महिलाएं

    2021 में कार्यबल में महिलाओँ की भागीदारी घटकर 23 फीसदी रह गई। 2018 में हुए एक सर्वेक्षण से सामने आया था कि कार्यबल में महिलाओं की हिस्सेदारी के मामले में 131 देशों की सूची में...

  • गरीबी, बेरोजगारी बरदाश्त करने की अंतहीन सीमा!

    इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं तो एक नारा लगता था- आधी रोटी खाएंगे, इंदिरा को जिताएंगे। यानी भूखे रह लेंगे लेकिन इंदिरा गांधी को जिताएंगे। वह दौर अभी तक खत्म नहीं हुआ है। अब भी लोग...

  • ताजा तीन इंडेक्स का भारत सत्य

    हाल में दुनिया की तीन संस्थाओं- फ्रीडम इन द वर्ल्ड इंडेक्स, इकोनॉमिस्ट इंटेलीजेंस यूनिट और वेराइटी ऑफ डेमोक्रेसी ने लोकतंत्र को लेकर अपना वैश्विक सूचकांक जारी किया। और तथ्य जो भारत तीनों में बहुत नीचे...

  • अब प्रश्न औचित्य का

    ‘मौजूदा आर्थिक यथार्थ मानव मूल्यों का अपमान है। 25 वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ है, जब चरम गरीबी बढ़ रही है और लगभग एक अरब लोग भुखमरी का शिकार हो रहे हैं।’ नदी में...

  • भारत में गरीबी-अमीरी की खाई

    आजकल हम भारतीय लोग इस बात से बहुत खुश होते रहते हैं कि भारत शीघ्र ही दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है। लेकिन दुनिया के इस तीसरे सबसे बड़े मालदार देश की...

  • आरक्षण का आधार सिर्फ गरीबी हो

    भोपाल में कर्णी सेना ने एक अपूर्व प्रदर्शन आयोजित किया और मांग की कि सरकारी नौकरियों, चुनावों और शिक्षण संस्थाओं में, जहां भी आरक्षण की व्यवस्था है, वहाँ सिर्फ गरीबी के आधार पर आरक्षण दिया...

  • 140-170 करोड़ लोगों में कमाने वाले और खाने वाले!

    भारत में पिछले पच्चीस वर्षों में नौजवान आबादी तेजी से बढ़ी है। अगले चालीस सालों में और बढ़ेगी। मतलब काम कर सकने की उम्र की वर्कफोर्स का बढ़ना! सोचें यदि आबादी में 60-65 प्रतिशत नौजवान...

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