श्रीवर्धन के रंगकर्म की ‘सनसनी’
भोपाल। दो एक साल पहले की बात है। एक दिन दोपहर को फोन आया ”सर मैं श्रीवर्धन त्रिवेदी बोल रहा हूँ, सनसनी वाला। मैं भोपाल आया था। आपसे मिलने आना चाहता हूँ।“ मुझे बहुत अच्छा...
भोपाल। दो एक साल पहले की बात है। एक दिन दोपहर को फोन आया ”सर मैं श्रीवर्धन त्रिवेदी बोल रहा हूँ, सनसनी वाला। मैं भोपाल आया था। आपसे मिलने आना चाहता हूँ।“ मुझे बहुत अच्छा...