अब उस उद्योग के एक उच्च अधिकारी ने जीडीपी आंकड़ों पर संदेह जताया है, जिसके प्रदर्शन और जीडीपी की वृद्धि में संबंध माना जाता रहा है। सरकार को ऐसे सवालों के ठोस जवाब देने चाहिए, ताकि भारत के आंकड़ों पर अविश्वास और ना गहरा जाए।
एशियन पेंट्स कंपनी के महाप्रबंधक और सीईओ अमित सिनगल ने जो कहा, उसका अर्थ भारत की जीडीपी वृद्धि दर के आंकड़ों पर अविश्वास जताना ही माना जाएगा। सिनगल ने जहां ये बात कही और जिस सवाल के जवाब में कही, दोनों पर गौर करना अहम है। मौका था भारतीय विनिमय एवं प्रतिभूति बोर्ड (सेबी) का इन्वेस्टर कॉन्फिडेंस कॉन्फ्रेंस, जिसका आयोजन बीते नौ मई को हुआ। सिनगल जो कहा, उसकी ट्रांसस्क्रिप्ट उनकी कंपनी ने 13 मई को जारी किया। उनके सामने सवाल रखा गया था- ‘हमारी आदत पेंट उद्योग में ग्रोथ और जीडीपी वृद्धि दर की वृद्धि में समानता देखने की है। हमने इस वर्ष के पेंट उद्योग के वैल्यू ग्रोथ पर नजर डाली और उसे जीडीपी वृद्धि दर के आंकड़ों के साथ जोड़कर देखने की कोशिश की। ऐसा लगता है कि दोनों का संबंध टूट गया है। इसे आप कैसे देखते हैं?’ प्रश्नकर्ता की ओर मुखातिब होकर सिनगल ने कहा- आप ठीक कह रहे हैं। जीडीपी के साथ पेंट उद्योग के वैल्यू ग्रोथ का संबंध टूट गया है।
उन्होंने कहा- मुझे नहीं मालूम जीडीपी के नंबर कहां से आ रहे हैँ? स्टील, सीमेंट आदि जैसे उद्योग जगत के मुख्य क्षेत्रों से इनका संबंध नहीं है। तो अब तक भारत के जीडीपी ग्रोथ रेट पर सवाल अर्थशास्त्रियों की तरफ से उठाए जा रहे थे। मसलन, भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन नॉमिनल ग्रोथ को थोक भाव मुद्रास्फीति दर से डिफ्लेट करने के नए चलन पर सवाल उठा चुके हैँ। उन्होंने कहा था कि अगर नोमिनल ग्रोथ को उपभोक्ता मुद्रास्फीति दर से डिफ्लेट किया जाए, तो भारत सरकार की तरफ से बताई गई जीडीपी वृद्धि दर दो प्रतिशत तक घट जाएगी। कुछ अर्थशास्त्रियों के मुताबिक असंगठित क्षेत्र को भी जीडीपी की गणना में शामिल किया जाए, तो भारत में यह दर दो से तीन फीसदी दर्ज होगी। मगर अब उस उद्योग के एक उच्च अधिकारी ने इस पर संदेह जताया है, जिसके प्रदर्शन और जीडीपी की वृद्धि में संबंध माना जाता रहा है। इसलिए सरकार को इन सवालों के ठोस जवाब देने चाहिए, ताकि भारत की जीडीपी को लेकर अविश्वास की खाई और ना गहरा जाए।