गुवाहाटी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी को असम में सोमवार को पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक एक मंदिर में जाना था लेकिन ऐन मौके पर उनको मंदिर जाने से रोक दिया गया। इसके विरोध में राहुल मंदिर के बाहर ही बैठ गए। बाद में उन्होंने ट्विट करके बताया कि बाहर से ही उन्होंने आशीर्वाद लिया है। राहुल ने लिखा- भारत की सांस्कृतिक विविधता को शंकर देव जी ने भक्ति के माध्यम से एकता के सूत्र में पिरोया, लेकिन आज मुझे उन्हीं के स्थान पर माथा टेकने से रोका गया। राहुल ने आगे लिखा- मैंने मंदिर के बाहर से ही भगवान को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लिया। अमर्यादित सत्ता के विरूद्ध मर्यादा का यह संघर्ष हम आगे बढ़ाएंगे।
इससे पहले भारत जोड़ो न्याय यात्रा के नौवें दिन सोमवार को राहुल गांधी असम के नगांव पहुंचे। वे बोरदोवा थान में संत श्री शंकरदेव के जन्मस्थल पर दर्शन करने गए थे, लेकिन उन्हें मंदिर में नहीं जाने दिया गया। सुरक्षा बलों ने राहुल और अन्य कांग्रेसी नेताओं को रास्ते में हैबरगांव में रोक दिया। वहां सुरक्षा बलों से बहस के बाद राहुल और अन्य कांग्रेसी नेता धरने पर बैठ गए। सभी को अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के बाद तीन बजे मंदिर आने के लिए कहा गया।
धरने के दौरान राहुल गांधी ने कहा- मैंने कौन-सा अपराध किया है कि मैं मंदिर नहीं जा सकता? क्या पीएम मोदी तय करेंगे कि मंदिर कौन जाएगा। आज क्या सिर्फ एक ही व्यक्ति मंदिर जा सकता है। मैं शंकरदेव की विचारधारा में विश्वास रखता हूं। वे हमारे गुरु की तरह हैं। इसलिए मैंने सोचा था कि जब भी असम आऊंगा, उनका आशीर्वाद जरूर लूंगा। राहुल ने आगे कहा- मुझे 11 जनवरी को इसका न्योता मिला था। लेकिन कल मुझे बताया गया कि यहां कानून व्यवस्था के बिगड़ने का खतरा है। यह संदेह पैदा करता है, क्योंकि गौरव गोगई और अन्य नेताओं को तो नहीं रोका गया, सिर्फ मुझे रोका गया।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा- राहुल गांधी 11 जनवरी से यहां आना चाहते थे। इसके लिए हमारे दो विधायक मंदिर प्रबंधन से मिले भी थे। हमने बताया था कि हम 22 जनवरी को सुबह सात बजे यहां आएंगे। हमें बोला गया कि हमारा स्वागत किया जाएगा।