जयपुर। स्वास्थ्य का अधिकार (right to health) (आरटीएच) विधेयक को वापस लेने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे निजी अस्पतालों के चिकित्सकों (doctor strike) की मंगलवार को राज्य सरकार के साथ सहमति बन गई। प्राप्त जानकारी के अनुसार, राज्य सरकार से रियायती दरों पर जमीन एवं अन्य लाभ नहीं लेने वाले निजी अस्पतालों को इस विधेयक के दायरे से बाहर रखने पर सहमति बनी है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (ashok gehlot) ने ट्वीट किया, ‘मुझे प्रसन्नता है कि स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक पर सरकार एवं चिकित्सकों के बीच अंततः सहमति बन गई और राजस्थान, स्वास्थ्य का अधिकार लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।’ उन्होंने लिखा, ‘मुझे आशा है कि आगे भी चिकित्सक-मरीज संबंध पहले की तरह यथावत बना रहेगा।’
मंगलवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए), प्राइवेट हॉस्पिटल्स एंड नर्सिंग होम्स एसोसिएशन और यूनाइटेड प्राइवेट क्लिनिक्स एंड हॉस्पिटल्स एसोसिएशन (यूपीसीएचएआर) सहित डॉक्टरों के एक प्रतिनिधिमंडल ने सरकार के साथ बातचीत की और आठ सूत्री ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
निजी हास्पीटल्स एंड नर्सिंग होम सोसायटी के सचिव डॉ विजय कपूर ने कहा, ‘सरकार के साथ एक समझौता किया गया है। निजी क्षेत्र को पूरी तरह से आरटीएच से मुक्त कर दिया गया है। सरकार इसे अपने संसाधनों और अपने संस्थानों पर लागू करेगी। हमने आज की ‘विरोध रैली’ को ‘विजय रैली’ में बदल दिया है।’
समझौते का आधिकारिक ब्यौरा अभी सामने नहीं आया है। इससे पहले आरटीएच के विरोध में मंगलवार को राजधानी जयपुर में चिकित्सकों ने बड़ी रैली निकाली, जिसमें बड़ी संख्या में चिकित्सक और अन्य कर्मचारी शामिल हुए।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान में निजी चिकित्सक 28 मार्च को राज्य विधानसभा में पारित विधेयक को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। विधेयक के अनुसार, राज्य के प्रत्येक निवासी को किसी ‘‘सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान, स्वास्थ्य देखभाल प्रतिष्ठान और नामित स्वास्थ्य देखभाल केंद्र’’ में ‘‘बिना पूर्व भुगतान’’ के आपातकालीन उपचार और देखभाल का अधिकार होगा। (भाषा)