नई दिल्ली। अदानी और हिंडनबर्ग मामले पर विपक्ष ने संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी से जांच कराने की मांग करते हुए संसद के बजट सत्र में कामकाज बाधित किया लेकिन अब एनसीपी के सुप्रीमो शरद पवार ने अपना रुख बदल दिया है। उन्होंने कहा है कि जेपीसी की मांग की जरूरत नहीं है क्योंकि उससे सचाई सामने नहीं आएगी। उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमेटी की जांच से सच का पता चलेगा। उन्होंने इस मामले में एक तरह से अदानी का समर्थन करते हुए हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर सवाल उठाया है।
हिंडनबर्ग को लेकर शरद पवार ने कहा है- विपक्ष ने एक फर्म की ओर से दी गई रिपोर्ट को जरूरत से ज्यादा महत्व दिया। इस फर्म का बैकग्राउंड किसी को नहीं पता, हमने इनका नाम भी नहीं सुना है। ऐसा लगता है कि इस मामले में एक औद्योगिक समूह को निशाना बनाया गया है। विपक्ष की जेपीसी की मांग पर उन्होंने कहा- जेपीसी बनाने से मामला नहीं सुलझेगा, सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से सच्चाई देश के सामने आएगी। इस मामले में जेपीसी की जरूरत नहीं है, इसका महत्व नहीं है। उन्होंने एक निजी टेलीविजन चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि जेपीसी में सरकार का बहुमत होता है और वहां सचाई का पता नहीं चल सकता है।
एनसीपी प्रमुख ने कहा- जब हम राजनीति में आए, तब सरकार पर हमले के लिए टाटा, बिरला पर हमला करते थे। बाद में पता चला कि टाटा का इस देश में कितना योगदान है। आजकल टाटा बिरला की जगह अदानी, अंबानी पर हमला हो रहा है। बिजली क्षेत्र में अदानी का महत्वपूर्ण योगदान है। शरद पवार ने संसद में उठाए गए मुद्दों को लेकर कहा- मुद्दे पर्सनलाइज्ड हो गए और महत्वपूर्ण मुद्दे नजरअंदाज हो गए।
उन्होंने कहा- सदन में किस मुद्दे के लिए ज्यादा संघर्ष करने की आवश्यकता है, इस बारे में हम लोग सोचते थे। आज देशवासियों के सामने क्या समस्या है? बेरोजगारी, महंगाई, लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति और ऐसी कई समस्याएं हैं। पवार ने कहा- ठीक है, अगर एक-दो दिन पॉलिटिकल मुद्दे आते हैं, लेकिन यह जो मेजर इश्यू, जिनसे आम जनता को फर्क पड़ता है, उन्हें नजरअंदाज करना ठीक नहीं। जब पूरी तरह से नजरअंदाज करने का काम होता है, तो हम गलत रास्ते पर जाते हैं, यह सोच हम में आने की आवश्यकता है।