इन कारणों से छिना तृणमूल कांग्रेस का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा

इन कारणों से छिना तृणमूल कांग्रेस का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा

कोलकाता। राष्ट्रीय पार्टी (National Party) का दर्जा खत्म होने के बाद तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) ने संकेत दिया है कि वह चुनाव आयोग (ECI) के फैसले के खिलाफ कानूनी रास्ता अपना सकती है, वहीं विश्लेषकों को पार्टी के इस कदम के परिणामों पर संदेह है। राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बरकरार रखने के लिए एक महत्वपूर्ण शर्त यह है कि संबंधित राजनीतिक दल (Political Party) के पास कुल लोकसभा सीटों का दो प्रतिशत होना चाहिए और यह तीन भारतीय राज्यों से होना चाहिए।

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हालांकि तृणमूल कांग्रेस के पास कुल लोकसभा सीटों का दो प्रतिशत से अधिक है, लेकिन वे सभी एक ही राज्य पश्चिम बंगाल (West Bengal) से हैं। एक और शर्त यह है कि पार्टी को कम से कम चार भारतीय राज्यों में राज्य-पार्टी का दर्जा प्राप्त होना चाहिए। अब राज्य-पार्टी का दर्जा प्राप्त करने के लिए, संबंधित राजनीतिक दल के पास संबंधित राज्य विधानसभा (State Assembly) में कम से कम दो निर्वाचित प्रतिनिधि होने चाहिए और उस राज्य में पिछले चुनाव में मतदान का छह प्रतिशत वोट हासिल होना चाहिए। तृणमूल कांग्रेस के मामले में, पश्चिम बंगाल के अलावा, यह केवल मेघालय (Meghalaya) में है, जहां तृणमूल के पांच निर्वाचित विधायक हैं और वहां उसने पिछले चुनावों में कुल मतदान का 13.78 प्रतिशत वोट हासिल किया था। तृणमूल कांग्रेस के गोवा (Goa) और त्रिपुरा (Tripura) से चुनाव लड़ने के बावजूद, इन दोनों राज्यों में से पार्टी का एक भी उम्मीदवार निर्वाचित नहीं हुआ और न ही उसे अपेक्षित मत प्राप्त हुआ। त्रिपुरा विधानसभा चुनाव (Tripura Assembly Election) में तृणमूल कांग्रेस को 0.88 प्रतिशत वोट मिला है, जो नोटा (NOTA) से भी कम है।

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2022 के गोवा विधानसभा चुनावों के मामले में, पार्टी का वोट शेयर (Vote Share) कुल वोटों का 5.21 प्रतिशत था। तृणमूल कांग्रेस ने 2016 में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल किया, यही वह वर्ष था जब वह लगातार दूसरी बार पश्चिम बंगाल में सत्ता में आई थी। अब राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छिनने के बाद तृणमूल कांग्रेस अपने पंजीकृत पार्टी चिन्ह (Party Symbol) के साथ केवल पश्चिम बंगाल और मेघालय में ही चुनाव लड़ सकेगी, जहां उसे अभी भी राज्य-पार्टी का दर्जा प्राप्त है। अन्य राज्यों के मामले में उन्हें मुक्त चिन्हों से संतुष्ट रहना होगा। (आईएएनएस)

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