Kalyuga Ganesh Avatar : धर्म ग्रंथों के अनुसार जब भी धरती पर पाप का साया बढ़ा है तो भगवान विष्णु ने अवतार लेकर पुन: धर्म की स्थापना की है. संसार में अधर्म ने पैर पसारना शुरू किया तब भगवान विष्णु ने एक नया अवतार लिया है. भगवान विष्णु का अंतिम अवतार ‘कल्कि अवतार’होना अभी शेष है. उसी प्रकार जब धरती पर पाप और अत्याचार अपनी चरम सीमा पर होगा तो भगवान श्रीहरि अवतार लेंगे. अवतार लेकर धरती को पाप और अत्याचार के बोझ से मुक्त करवाएंगे. भगवान विष्णु के साथ सभी देवों ने कोई अवतार अवश्य लिया है. कलयुग में भी भगवान श्रीगणेश मनुष्यों को धर्म का मार्ग दिखाने के लिए अवतार लेंगे.
धूम्रकेतु नाम का अवतार लेंगे श्रीगणेश
पुराणों के अनुसार, जब धरती पर घोर कलयुग का साया होगा, चारों ओर अधर्म का राज होगा. उस समय गणपति जी धरती पर अवतार लेंगे. भगवान गणेश का यह कोई पहला अवतार नहीं होगा. बल्कि उन्होंने हर युग में अवतार लिया है और दुष्टों का नाश किया है. सतयुग में वे महोत्कट विनायक के रूप में अवतरित हुए थें, त्रेतायुग में मयूरेश्वर और द्वापर युग में शिवपुत्र गजानन के नाम से जाने गए थें. गणेश पुराण के अनुसार, भगवान गणेशजी का कलियुग में जो अवतार होगा उसका नाम होगा ‘धूम्रकेतु’. चारभुजा से युक्त और हाथ में खड्ग होगा, वह अपनी सेना के साथ पापियों का नाश करेंगे और इस प्रकार सतयुग का आरंभ स्वयं गणेश जी के हाथों से होगा.
पापियों के विनाश के लिए लेंगे भयावह रूप
गणेश जी का यह अवतार बहुत ही उग्र होगा. कलियुग में पापियों के बढ़ते मनोबल को देख गणपतिजी के नेत्र क्रोध से भरे रहेंगे, जिस कारण उनके शूर्पकर्ण आंखों से अग्नि की वर्षा होगी. पापियों और अधर्मियों का का विनाश करने के बाद ही गणेश जी का क्रोध शांत होगा.