जादुई दुनिया(डिजनी) लगी सत्ता की नजर!

जादुई दुनिया(डिजनी) लगी सत्ता की नजर!

धरती की सबसे बड़ी जादुई दुनिया खतरे में है। मिकी, मिनी, डोनाल्ड डक, प्लूटो, गूफी और उनके उतने ही प्यारे और नटखट साथी खतरे में है। फ्लोरिडा के रिपब्लिकन गवर्नर रोन डिसांटिस जो राष्ट्रपति चुनाव में अपनी पार्टी का उम्मीदवार बनने की दौड़ में हैं, डिजनी से काफी नाराज हैं। वे उसके कारपोरेट साम्राज्य का सफाया करने की जिद पर अड़े हुए हैं।

दोनों के बीच कलह की शुरूआत मार्च 2022 में तब हुई जब डिजनी के चीफ एक्सीक्यूटिव बॉब चापेक ने फ्लोरिडा की सरकार के एक बिल की खुलकर निंदा की। इस बिल के अंतर्गत फ्लोरिडा के एलीमेन्ट्री स्कूलों में लैंगिकता और लैंगिक पहचान से जुड़े मुद्दों पर चर्चा को कम किया जाना था। चापेक ने कहा कि यह बिल केवल समलैंगिकता को नजरअंदाज करने के लिए लाया गया है। इससे डिसांटिस नाराज हो गए और सरकार ने डिजनी पर अपना कब्जा जमाना शुरू कर दिया। डिजनी के कंट्रोलिंग बोर्ड को भंग कर दिया गया। उसके स्थान पर एक ऐसा बोर्ड बना दिया गया जिसमें रिपब्लिकन पार्टी से जुड़े लोग शामिल थे। इनमें वे सज्जन भी थे जिन्होंने उस बिल का मसविदा तैयार किया था। परंतु डिसांटिस का यह दांव उल्टा पड़ा और उनकी प्रतिष्ठा को धक्का पहुंचा। जाहिर है कि इससे वे आगबबूला हो गए।

पिछले महीने डिसांटिस ने कहा कि वे फ्लोरिडा राज्य के नियमों में बदलाव लाने का प्रयास करेंगे ताकि डिजनी वर्ल्ड का सरकारी अधिकारियों द्वारा मुआयना और आसान हो जाए। यह धमकी भी दी कि वे डिजनी वर्ल्ड के ठीक बगल में एक जेल बनवाएंगे। डिजनी वर्ल्ड फ्लोरिडा का सबसे बड़ा नियोक्ता है। कुल 43 वर्ग मील में फैले डिजनी वर्ल्ड में मुख्यतः परिवार और बच्चे आते हैं।

पिछले साल शुरू हुई रस्साकशी अब दिनोंदिन भौंडी होती जा रही है। डिसांटिस और डिजनी वर्ल्ड के रिश्ते पहले इतने कटु नहीं थे। डिसांटिस की शादी डिजनी वर्ल्ड में ही हुई थी। परंतु अमरीका बदल रहा है। अमरीका का ट्रंपीकरण हो रहा है, जिसमें आपकी राय या सोच सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है और तथ्यों व सच को आसानी से बलि चढ़ाया जा सकता है। जाहिर है कि दूसरों को सहने का माद्दा कम हो रहा है। डिसांटिस 2024 में रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति चुनाव लड़ना चाहते हैं। इसलिए वे जनता का ध्यान उनके प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रंप से हटाने के लिए अपने आपको अतिवादी सांस्कृतिक योद्धा के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। डिजनी के मुखिया बॉब आईगर – किसी भी अन्य बड़े व्यवसायी की तरह – चाहते हैं कि हर तरह के लोग उनके यहाँ आएं। वे यह नहीं चाहते कि डिजनी वर्ल्ड को किसी विशेष विचारधारा या नजरिए से जोड़ा जाए। डिसांटिस और डिजनी का युद्ध गे कानून से शुरू हुआ था। आईगर के पहले डिजनी के मुखिया रहे बॉब चापेक के कार्यकाल में डिजनी ने खुलकर इस कानून का विरोध नहीं किया। इससे कंपनी के अंदर और बाहर भी यह आरोप लगे कि वह लैंगिक आधार पर भेदभाव करती है। इसके लिए चापेक ने बाद में माफी भी मांगी। उन्होंने कहा ‘‘बराबर हकों की लड़ाई में मुझे और मजबूती से आपके साथ खड़ा होना था। परंतु मैंने आपको निराश किया।‘‘

परंतु आईगर कहीं ज्यादा खुलकर बोल रहे हैं। उन्होंने इस कानून को गलत बताते हुए अपने कर्मचारियों से कहा है कि सबको स्वीकार करना और सबको इज्जत देना कंपनी के मूलभूत मूल्यों में शामिल है।

डिजनी का फ्लोरिडा की सरकार के साथ टकराव डिसांटिस के गवर्नर बनने से पहले ही शुरू हो गया था। एक लंबे समय से कंपनी गे अधिकारों की वकालत करती आई है। सन् 2007 में डिजनी ने अपने फेयरीटेल वेडिंग प्रोग्राम को एक ही लिंग के दंपत्तियों के लिए खोल दिया। उसके पहले तक ऐसे जोड़े कंपनी का विवाह पैकेज नहीं खरीद सकते थे क्योंकि वहां विवाह करने के लिए कैलिफोर्निया या फ्लोरिडा राज्य द्वारा जारी मैरिज लाईसेंस चाहिए होता था। उस समय ये दोनों राज्य समलैंगिक विवाहों को न तो मान्यता देते थे और न इजाजत। वेडिंग पैकेज में सिंड्रेला बग्घी में विवाह स्थल तक जाना, विशेष वेशभूषा वाले बिगुल वादक और शादी में मिकी से लेकर मिनी तक अथवा स्नोव्हाईट के सात बौनों की भागीदारी शामिल है। डिजनी ने एक ही लिंग के विवाह करने के इच्छुक दंपत्तियों को समान अधिकार और लाभ देने शुरू कर दिए। डिजनी वर्ल्ड में गे डे परेडों के आयोजन की इजाजत भी दे दी।

डिजनी के इस खुलेपन की दकियानूसी तबकों ने कड़ी आलोचना की। कहा कि वह एक पाखंडी संस्थान है। डिजनी की लंबे समय से इस बात के लिए आलोचना होती रही है कि वह केवल सफेद चमड़ी वालों की कंपनी है और उसमें अन्य नस्लों के लोगों को वाजिब सम्मान नहीं मिलता। कंपनी की हाल में इस बात के लिए भी आलोचना हुई थी कि उसने अपनी ‘मुलन’ फिल्म की शूटिंग चीन के शिनजियांग प्रांत में की जहां चीन ने बड़ी संख्या में उइगुर मुसलमानों को नजरबंद कर रखा है।

डिजनी के इतिहास से वाकिफ पीटर सी. कुंज ने कंपनी द्वारा विविधता का सम्मान न करने के बारे में काफी कुछ लिखा था। उन्होंने यह भी कहा था कि सन् 1980 के दशक में कंपनी के बुरे दिनों के दौरान भिन्न सेक्सुअल पसंद वाले कंटेट निर्माताओं और दर्शकों ने ही उसे डूबने से बचाया था। परंतु यह सब अब बदल गया है। 2017 में पहली बार ‘द ब्यूटी एंड द बीस्ट’ में एक गे पात्र को शामिल किया गया।

जो हो डिसांटिस अब डिजनी के लिए बड़ी समस्या बनते हुए हैं। डिजनी वर्ल्ड के बगल में जेल बनाने की उनकी धमकी को आमजन और राजनीतिज्ञ खोखला बता रहे हैं। कारण यह कि डिजनी वर्ल्ड के आसपास कंपनी के मालिकाना हक वाली जमीन इतनी बड़ी है कि अंदर से उस जमीन के आगे देख पाना संभव ही नहीं है। आखिर फ्लोरिडा को डिजनी यूं ही नहीं कहा जाता! लोग यह नहीं कहते कि चलो फ्लोरिडा चलें। वे यह कहते हैं कि चलो डिजनीलैंड चलें। डिसांटिस और डिजनी के बीच विवाद के चलते फ्लोरिडा की एक मजा-मौज करने वाली जगह के रूप में छवि पर बुरा असर पड़ रहा है। परंतु मुझे लगता है कि डिजनी वर्ल्ड की आभा और उसका आकर्षण बना रहेगा। आखिर वह एक जादुई दुनिया है! और डिसांटिस को शायद अपना जेल कहीं और ले जाना पड़ेगा।  (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

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Published by श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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